इतवारी बाज़ार में ऐसे ही हुआ था सांस्कृतिक भवन का विरोध
पिछले हफ़्ते ख़बर आई कि इतवारी बाज़ार में आक्सीज़ोन परियोजना को धरातल पर उतारा जायेगा, यहां पेड़ पौधे लगाकर शहरवासियों को शुद्ध हवा देने की कोशिश होगी। स्थानीय विधायक और छत्तीसगढ़ सरकार के केबिनेट मंत्री ओपी चौधरी की पहल पर नगर निगम के जरिए इतवारी बाज़ार में आक्सीज़ोन बनने जा रहा है। इधर साप्ताहिक इतवारी बाज़ार से सीधा वास्ता रखने वाले छोटे मंझौले दुकानदारों ने आक्सीज़ोन को किसी दूसरी जगह बनाने के लिए आग्रह किया है। ये वही दुकानदार हैं जो हफ़्ते में एक दिन रविवार को साग सब्ज़ी, कपड़ा, बर्तन, किराना, मनिहारी जैसे सामानों की दुकानें रियासतकाल से इतवारी बाज़ार में लगाते आ रहे हैं, जहां ना केवल शहर बल्कि आसपास के गांवों से भी लोग ख़रीददारी करने इतवारी बाज़ार आते हैं और इसी वजह से रायगढ़ के इतवारी बाज़ार ने हाट-बाज़ारों की संस्कृति को ज़िंदा रखा है। इतवारी बाज़ार के सभी दुकानदारों ने सोमवार को अपना विरोध दर्ज़ कराते हुए एकसाथ निगम के दफ़्तर पहुंचे, जहां औपचारिक तौर पर अपनी मांगों के संदर्भ में एक ज्ञापन सौंपा और आक्सीज़ोन परियोजना को किसी दूसरी जगह ले जाने की मांग रखी है।
यहां इतवारी बाज़ार से जुड़ी इस बात को भी समझना ज़रूरी है कि इससे पहले एक बार सांस्कृतिक भवन के लिए भी इतवारी बाज़ार का चयन किया गया था, नगर निगम ने टेंडर पास करके निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया था, इस काम के लिए संबंधित ठेकेदार को काम की प्रगति के हिसाब से भुगतान भी हुआ था, मगर लोगों के विरोध के कारण सांस्कृतिक भवन का निर्माण कार्य बंद करवाकर पंजरी प्लांट में शिफ़्ट कर दिया गया। इस बात में कोई दो राय नहीं कि इतवारी बाज़ार भी चौतरफ़ा अतिक्रमण की वजह से अव्यवस्था का शिकार है, लिहाज़ा आशंका इस बात को लेकर भी जताई जा रही है कि इतवारी बाज़ार के दुकानदारों के कंधों का इस्तेमाल करके कहीं अतिक्रमणकारियों ने ही तो आक्सीज़ोन परियोजना का विरोध शुरू नहीं कर दिया है?
कितनी अजीब विडंबना है कि इतवारी बाज़ार को कृषि उपज मंडी की ज़मीन का हवाला देकर कांग्रेस भाजपा के पिछले विधायकों ने उन्नयन कार्य नहीं किया, मगर अब आक्सीज़ोन के निर्माण में कृषि उपज मंडी का रोड़ा ख़त्म होता हुआ साफ़ दिखाई दे रहा है। बहरहाल अब देखने वाली बात ये होगी कि ओपी चौधरी ऐसा कौन सा बीच का रास्ता निकालते हैं जिससे शहर में आक्सीज़ोन भी बन जाये और साप्ताहिक इतवारी बाज़ार के छोटे मंझौले दुकानदारों का भविष्य भी सुरक्षित रह सके।