रायगढ़ तहसील के पटवारी हलका नंबर 38 पंडरीपानी पूर्व में अष्ट महालक्ष्मी मंदिर के ठीक सामने मुख्य सड़क से लगी 87/1 खसरा नंबर की सरकारी ज़मीन पर लगे फलदार पेड़ों की पहले तो निर्ममता से कटाई हुई और फिर गढ्ढे खोदकर कालम खड़े किये जाने लगे, जिससे पहली नज़र में ही साफ़ हो गया था कि सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण का खेल शुरू हो चुका है। @khabarbayar में इससे जुड़ी ख़बर प्रकाशित हुई, तो संबंधित पटवारी हलका के राजस्व पटवारी एक्टिवेट हुए और उन्होंने खसरा नंबर 87/1 के इस हिस्से में हो रहे अतिक्रमण की पुष्टि करते हुए पंचनामा रिपोर्ट तैयार की और तहसीलदार के सामने प्रस्तुत भी कर दी। जिसके आधार पर ग़ुज़रे 27 दिसंबर को तहसील न्यायालय रायगढ़ से निर्माण कार्य रोके जाने का आदेश पंडरीपारी पूर्व के ही अतिक्रमणकारी इरफ़ान के नाम से जारी हुआ, संबंधित कोटवार के जरिए जिसकी तामीली भी हो चुकी है, मगर इरफ़ान नाम के इस व्यक्ति ने सरकारी ज़मीन पर निर्माण कार्य बंद नहीं किया है, जिससे साबित होता है कि सरकारी ज़मीन पर इरफ़ान जैसे लोगों से अतिक्रमण करवाने के पीछे कुछ ऐसी शक्तियां हैं, जो सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण को संरक्षण दे रही हैं। मगर लाख टके का सवाल ये है कि आख़िर वो शक्तियां कौन सी हैं?
चूंकि हज़ारों लाखों लोगों की अटूट आस्था का केंद्र बनते जा रहे अष्ट महालक्ष्मी मंदिर वैष्णवी धाम तक जाने के लिए इसी सरकारी ज़मीन से होकर एकमात्र रास्ता है, लिहाज़ा अतिक्रमण हो जाने के बाद विवाद गहराना स्वाभाविक है, जो आगे चलकर इस क्षेत्र के हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द पर भी चोट कर सकता है, लिहाज़ा विवाद शुरू होने से पहले जड़ से ख़त्म कर देना बेहतर होगा। अतिक्रमण रोकने के तत्काल सख़्त क़दम उठाये जाने की ज़रूरत है, तहसीलदार-एसडीएम-कलेक्टर गंभीरता से ध्यान दें।
(स्टे के बावजूद खुलेआम अतिक्रमण का VIDEO)