
भारतीय जनता पार्टी में मंडल अध्यक्षों की घोषणा के बाद प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए पार्टी के बड़े नेताओं ने संबंधित जिलों में पहुंचकर रायशुमारी भी कर ली, जिसके बाद नामों की घोषणा प्रदेश से होनी थी। ख़बर है कि प्रदेश आलाकमान ने सभी जिलाध्यक्षों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है, मगर इन नामों की घोषणा के बाद पार्टी में असंतोष ना हो, इसलिए नाम सार्वजनिक करने के नये फ़ार्मूले पर भी मंथन जारी है, जिसके तहत् सभी जिलाध्यक्षों के नामों की सूचना राष्ट्रीय इकाई से जारी की जा सकती है, फिर भी अगर कहीं असंतोष सामने आता है तो राष्ट्रीय इकाई में असहमति दर्ज़ होगी, प्रदेश इकाई में कोई गुंजाईश नहीं होगी। वैसे जिलाध्यक्षों के नाम सार्वजनिक करने के लिए लिफाफा सिस्टम अपनाया जायेगा, जिसकी संभावना ज़्यादा है। लिफ़ाफ़ा सिस्टम यानि जिलाध्यक्ष के नाम का लिफ़ाफ़ा सभी जिलों में पहुंचेगा, जहां उस लिफ़ाफ़े को खोलकर नये जिलाध्यक्ष का नाम सार्वजनिक किया जायेगा। बहरहाल अब सभी जिलों में इंतज़ार इस बात का हो रहा है कि जिलाध्यक्ष के नाम अलग अलग लिफ़ाफ़ों से आयेगा या सूची के जरिए एकसाथ जारी होगा।
बीते दिनों पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन के बाद देश भर में एक जनवरी तक राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया गया था, इसी वजह से भारतीय जनता पार्टी जिलाध्यक्ष के नामों की घोषणा दो जनवरी को कर सकती है। इसके पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि जिलाध्यक्ष के नामों की घोषणा के बाद ख़ुशी में पटाखे फूटेंगे, मिठाईयां बंटेंगी और ढोल नंगाड़े भी बजेंगे, जो कि स्वाभाविक भी है। अगर राष्ट्रीय शोक के दौरान पार्टी कार्यालय में ऐसा माहौल बना तो कांग्रेस को ऊंगली उठाने का मौक़ा मिलेगा, जो कि भाजपा कभी नहीं चाहेगी। इसी लॉजिक के आधार पर दो तारीख़ को जिलाध्यक्ष के नामों की घोषणा की संभावना जताई जा रही है। वैसे अगर भाजपा का आलाकमान चाह ले तो आज भी सारे जिलाध्यक्षों के नाम सार्वजनिक कर सकता है, जिसकी संभावना बहुत कम है।