

रायगढ़ शहर का एक युवक अपने बचपन में माध्यमिक स्तर की शिक्षा के दौरान सबसे पहले सरस्वती शिशु मंदिर में विद्याध्ययन करते हुए शाला नायक बनता है, विद्या भारती से जुड़कर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्र प्रेम के संस्कार पाता है और फिर 18 साल की उम्र में भारतीय जनता पार्टी से जुड़कर राजनैतिक तौर पर ख़ुद को सक्रिय करता है। 1995 से लेकर आज तक यह युवक भाजपा के अलग अलग पदों में रहते हुए पार्टी के लिए समर्पित होकर काम कर रहा है। 48 साल का यह उत्साही नौजवान खटिक सोनकर समाज का अध्यक्ष रहते हुए भी सर्व समाज की बेहतरी का सपना अपनी आंखों में संजोये ख़ुद को सक्रिय रखा है, इस युवक की व्यवहारकुशलता की वजह से वैसे तो समाज के हर वर्ग में गहरा जुड़ाव है मगर अनुसूचित जाति वर्ग में तो बहुत गहरी पैठ है।
हमेशा सफ़ेद क़मीज पहने, एक तरफ़ कंधे में केसरिया गमछा लिये एक्टिवा में शहर की सड़कों पर हमेशा अपनी चिर परिचित मुस्कान और हर छोटे बड़े के प्रति आदरभाव व्यक्त करते दिखाई देने वाले इस युवा ऊर्जावान शख़्स का नाम नरेश गोरख है। नरेश गोरख का नाम मौजूदा राजनैतिक संदर्भ में लिया जाना इसलिए ज़रूरी लगता है क्योंकि नगर निगम के चुनाव होने हैं, रायगढ़ में महापौर की सीट अनुसूचित जाति वर्ग (मुक्त) के लिए आरक्षित हुई है और नरेश गोरख समाज में इसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते करते हैं। उनका जुड़ाव स्टेशन चौक युवा समिति से भी सक्रिय तौर पर है, नरेश के पास वक़ालत की डिग्री है और शहर की राजनीति का अच्छा अनुभव भी है। सबसे बड़ी बात ये कि नरेश गोरख का परिवार अपनी मेहनत की बदौलत आर्थिक रूप से भी समृद्ध है।
नरेश गोरख इससे पहले कई बार पार्टी से महापौर के लिए टिकट की मांग कर चुके हैं, मगर पार्टी ने किसी दूसरे कार्यकर्ता को टिकट दी, इस पर नरेश ने पार्टी से ना तो कभी बग़ावत की और ना ही पार्टी के ख़िलाफ़ काम किया। आज जब पार्टी रायगढ़ नगर निगम चुनाव में महापौर प्रत्याशी के नामों पर विचार मंथन कर रही है, तो ऐसे में नरेश गोरख को भी अपने लिए पार्टी की टिकट की उम्मीद बनी हुई है। ये उम्मीद हर राजनैतिक दल के उन सभी समर्पित कार्यकर्ताओं को अपने भीतर ज़िंदा रखनी चाहिए, जो चुनावी राजनीति से जुड़कर समाज के लिए बेहतर करना चाहते हैं। बहरहाल, भारतीय जनता पार्टी अगर नरेश गोरख के नाम पर गंभीरता से विचार करती है, तो नरेश पार्टी को निराश नहीं करेंगे, ऐसा ख़ुद नरेश का दावा है।