


इस चुनाव AAP या आशीर्वाद पैनल का कितना है वज़ूद??
छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों के लिए होने जा रहे चुनावों के लिए हर दिन सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं, रायगढ़ नगर निगम की अगर बात करें तो यहां ज़ाहिर तौर पर सत्तारूढ़ दल बीजेपी अति उत्साह में दिखलाई पड़ रही है, जबकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस में उत्साह का ग्राफ़ कम ही है। वहीं तीसरे मोर्चे के तौर पर अपनी ज़मीन तलाशता आशीर्वाद पैनल भी चुनाव मैदान में है, जिसका नेतृत्व इंजीनियर सिरिल कुमार कर रहे हैं, जो इस बार महापौर पद के प्रत्याशी हैं, सिरिल कुमार इससे पहले के चुनाव में आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें उन्होंने बुरी तरह हार का सामना किया था, यानि ये कहा जा सकता है कि सिरिल कुमार को मतदाताओं से मिले रिजेक्शन का अच्छा ख़ासा अनुभव है। इस बार आम आदमी पार्टी ने रूसेन कुमार को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया है, चूंकि रूसेन कुमार का अब तक भाजपा नेता सुनील रामदास अग्रवाल की गद्दी से गहरा जुड़ाव रहा है, उन्होंने सुनील रामदास अग्रवाल की बतौर समाजसेवी और भाजपा नेता ब्रांडिंग करने में सालों अपनी ऊर्जा खपाई, इसी दौरान इंडिया सीएसआर कंपनी के ज़रिए कार्पोरेट्स के लिए भी काम कर रहे हैं, लिहाज़ा रूसेन कुमार की दावेदारी के पीछे किसका हाथ है, इसका अंदाज़ा लगाने में लोग दिमागी ज़द्दोजहद करते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि रूसेन कुमार के भाई खूबचंद ने 2019 के चुनाव में अपने भावी महापौर की होर्डिंग लगाकर सुर्ख़ियां बटोरने की कोशिश की थी, मगर उन्हें अपने पैसरों तले ज़मीन का अंदाज़ा अच्छे से हो गया था, इस बार आम आदमी पार्टी का दामन थामकर रूसेन कुमार कितना ग़ज़ब कर पायेंगे, ये तो आने वाला वक़्त ही बतायेगा, वैसे भी रायगढ़ में आम आदमी पार्टी को कोई जनाधार तो है नहीं। बावजूद इसके इतना तो तय है कि जनता उस पर अपना भरोसा जताती है, जो चुनावों के अलावा बाक़ी दिनों में भी जनता की मूलभूत समस्याओं ज़रूरतों से अपना सीधा जुड़ाव बनाये रखता है। इस लिहाज़ से आशीर्वाद पैनल के इंजीनियर सिरिल कुमार और आम आदमी पार्टी के रूसेन कुमार को अभी रायगढ़ की जनता के दिलों में जगह बनाने के लिए काफी वक़्त बिताना होगा, हालांकि इस बात से रत्ती भर भी इंकार नहीं किया जा सकता कि सिरिल और रूसेन का जनाधार भले ही ना हो लेकिन शिक्षित होने के मामले में महापौर पद के बाक़ी प्रत्याशियों से इनका दर्ज़ा कहीं ऊपर है।
बहरहाल, आशीर्वाद पैनल और आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में जनता का कितना भरोसा मिल पाता है, इसे जानने समझने के लिए वक़्त के थोड़ा और ग़ुज़रने का इंतज़ार करना होगा।