
वर्ष 2022 के अक्टूबर महीने का पहला हफ़्ता, राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान पाने के बाद छत्तीसगढ़ भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष बने आदिवासी नेता रवि भगत ख़ूब सुर्खियों में थे, घरघोड़ा रोड की दुर्दशा पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार की चूलें हिलाने रवि भगत ने लैलूंगा से रायगढ़ तक पदयात्रा कर दी थी, तब ओपी चौधरी संगठन में प्रदेश महामंत्री का दायित्व संभाल रहे थे, उन्होंने भी इस पदयात्रा में शामिल होकर रवि भगत की ताक़त में ईज़ाफ़ा किया था। आठ अक्टूबर 2022 को रायगढ़ में कलेक्टोरेट घेराव के साथ आंदोलन का समापन हुआ था जिसमें छत्तीसगढ़ भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव भी शामिल हुए थे। यही वो बड़ा आंदोलन था जहां से ओपी चौधरी ने रायगढ़ विधानसभा में अपनी पैठ गहरी करनी शुरू कर दी थी। वक़्त के साथ राजनैतिक दरिया का पानी काफी बह चुका है, सूबे में भाजपा की सरकार है, आदिवासी नेता विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री हैं, ओपी चौधरी वित्तमंत्री और अरूण साव उप मुख्यमंत्री के तौर पर ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। मगर हाल ही के दिनों में रायगढ़ जिले के लैलूंगा क्षेत्र से बेहद सक्रिय और समर्पित युवा आदिवासी नेता रवि भगत की अपनी ही सरकार के प्रति नाराज़गी सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पर सामने आ रही है। रवि भगत के एक ट्वीट से तो साफ़ ज़ाहिर हो रहा था कि उनका ईशारा सीधे सीधे रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी की तरफ़ है, अपनी सोशल मीडिया ट्वीट के ज़रिए रवि भगत का कहना था कि डीएमएफ़ और सीएसआर का पैसा लैलूंगा क्षेत्र के विकास में भी ख़र्च करिये।
अभी आज ही आदिवासी नेता भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत ने बेहद सहजता और सरलता के साथ एक गीत गाकर भी सोशल मीडिया में अपलोड किया है, इस गीत के जरिए रवि भगत डीएमएफ़ सीएसआर की बात तो करते हैं, औद्योगिक मनमानियों और रोज़गार के लिए उद्योगों द्वारा छले जा रहे स्थानीय बेरोज़गारों की पीड़ा को भी आवाज़ दे रहे हैं। कुल मिलाकर अभी जो हालात हैं उससे साफ़ हो जाता है कि भारतीय जनता पार्टी की तीन तीन चार चार इंजन वाली सरकार होने के बावजूद जन समस्याओं और जन सुविधाओं से जुड़ी उनकी आवाज़ नहीं सुनी जा रही है, वहीं राजनैतिक गलियारों में ये क़यास भी लगाये जाने लगे हैं कि आदिवासी नेता रवि भगत और रायगढ़ विधायक वित्तमंत्री ओपी चौधरी के बीच रिश्तों में कुछ तो ऐसा हुआ है, जिसे सहज नहीं कहा जा सकता।