



श्री बांके बिहारी स्टील एंड पॉवर लिमिटेड और श्री बांके बिहारी इन्फ़्राकॉम प्रायवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हरबिलास अग्रवाल और उनके बेटों के ख़िलाफ़ उन्हीं के परिवारजनों और SBBSL कंपनी के भागीदार सन्नी अग्रवाल और पवन अग्रवाल के अलावा SBBIPL के भागीदार सन्नी और भोला अग्रवाल ने धोखाधड़ी के आरोप लगाकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज़ कराई है, विशुद्ध पारिवारिक संपत्ति बंटवारे से जुड़े इस मामले में अब थाना कोतरा रोड क्षेत्र के फ़्रेंड्स कॉलोनी निवासी हरबिलास अग्रवाल ने भी अपना पक्ष मज़बूती से रखते हुए बताया है कि “इसी साल अगस्त महीने की 8 तारीख़ को SBBSPL के भागीदार डायरेक्टर सन्नी अग्रवाल ने ईमेल के माध्यम से सूचना दी कि 17 अगस्त 2025 को रायपुर के तेलीबांधा स्थित सृष्टि गार्डन के मकान नंबर 11-12 में ज़रूरी मीटिंग रखी गई है, इस मीटिंग का मुख्य एजेंडा कंपनी में बतौर डायरेक्टर ममता, आशा और श्रिया अग्रवाल को डायरेक्टर बनाकर कपनी को अपने एकाधिकार में लेना था, जिसका मेरे द्वारा 10 अगस्त 2025 को ईमेल के माध्यम से ही विरोध किया गया क्योंकि ऐसी हरक़त कंपनी के बाक़ी शेयर होल्डर्स के अधिकारों का हनन करना था, हमारी आपत्ति पर सन्नी अग्रवाल वग़ैरह की तरफ़ से कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया, फिर मैंने 14 अगस्त 2025 को ईमेल भेजकर मीटिंग की वीडियो रिकार्डिंग मांगी और सभी दस्तावेज़ों को दुरूस्त करने कंपनी सेक्रेटरी नियुक्त करने का आग्रह किया परंतु 16 अगस्त 2025 को सन्नी अग्रवाल की तरफ़ से मेल आया कि ना मीटिंग की वीडियो रिकार्डिंग दी जायेगी और ना ही कंपनी सेक्रेटरी की नियुक्ति की जायेगी। ऐसी स्थिति में कंपनी के ख़िलाफ़ किये जा रहे किसी बड़े षड्यंत्र की आशंका होने पर अगले ही दिन 17 अगस्त 2025 को मैं और मेरा बेटा आयुष दोपहर तक़रीबन डेढ़ बजे रायपुर के तेलीबांधा स्थित सृष्टि गार्डन के मकान नंबर 11 पहुंचे, जहां पाया कि मयंक, प्रतीक, पवन, भोला और सन्नी अग्रवाल पहले से ही हमारे ख़िलाफ़ एकराय होकर मौजूद थे, मेरे द्वारा कंपनी के मामले में बातचीत के लिए मीटिंग की बात कहने पर मयंक, प्रतीक और पवन अग्रवाल ने ख़ुद को कंपनी का डायरेक्टर बताकर मीटिंग में रहने की बात की और मेरे बेटे आयुष को बाहर निकालकर दरवाज़ा बंद कर लिया गया। मैंने मामले में अनहोनी को भांपते हुए मीटिंग में आग्रह किया कि “कंपनी में जो भी डायरेक्टर नियुक्त किये गये हैं, वैध दस्तावेज़ों के साथ उसकी जानकारी दी जाये।” जिसके जवाब में मयंक, पवन, प्रतीक ने एकराय होकर कहा कि “ऐसे कोई दस्तावेज़ नहीं दिये जायेंगे।” इसी के साथ ही उपरोक्त सभी ने मिलकर कोरे काग़ज़ों में मुझे दस्तख़त करने के लिए मज़बूर किया जाने लगा, मेरे मना करने पर मयंक, प्रतीक, पवन और सन्नी ने मेरे साथ गाली गलौच की, इसी बीच अजय अग्रवाल भी भीतर आये और बाक़ियों के साथ मिलकर मुझे ज़मीन पर गिराया और मारपीट करने लगे, फिर मुझे मीटिंग से बाहर भी निकालने लगे, मेरे साथ मारपीट होता देख कमरे के बाहर मौजूद मेरा बेटा आयुष मेरी जान बचाने के लिए बीच में आया तो पवन अग्रवाल ने उसके पैर को दांतों से काट लिया और सिर पर वार करके चोटिल कर दिया, इतने पर ही मन नहीं भरा तो उन्होंने मुझे और मेरे बेटे आयुष को जान से मारने की खुली धमकी भी दी। बेहद विषम हालातों के बीच मैं और मेरा बेटा वहां से अपनी जान बचाकर भागे, मैंने पंडरी में अपने घायल बेटे आयुष का ईलाज शुरू करवाया, इस पूरी वारदात के दौरान मेरे ड्रायवर और वहां आसपास मौजूद लोगों ने भी बाहर से देखा है। बेटे आयुष का ईलाज करवाकर लौटने के बाद 20 अगस्त 2025 को मेरे द्वारा थाने में रिपोर्ट दर्ज़ कराई गई।