बंद पड़ी विश्रामपुर और दुग्गा खदानों में होगी फ़्लाई-ऐश की फ़िलिंग

पावर प्लांट से हर रोज़ निकलने वाली हज़ारों टन फ़्लाई-ऐश यानि राख की उपयोगिता के लिये NTPC और SECL के बीच समझौता हो गया है, इस समझौते को पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है। एनटीपीसी और एसईसीएल ने बीते 4 नवंबर को बंद खदानों में फ़्लाई ऐश भरने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए हैं। इस समझौते में एसईसीएल की बंद पड़ी दुग्गा खदान के लिए लगभग 117.81 लाख घन मीटर और बिश्रामपुर खदान के लिए 12.02 लाख घन मीटर फ़्लाई-ऐश के निपटान की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। यह पहल न केवल प्रभावी फ़्लाई-ऐश प्रबंधन की सुविधा प्रदान करती है, बल्कि बंद खनन स्थलों के पुनर्स्थापन में भी योगदान करती है, जो हमारे पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। छत्तीसगढ़ में स्थित एनटीपीसी के तीन स्टेशन लारा, सीपत और कोरबा ने इस फ़्लाई-ऐश आपूर्ति समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। विशेष तौर पर एनटीपीसी सीपत 5.4 मिलियन मीट्रिक टन, लारा 2.9 मिलियन मीट्रिक टन और कोरबा 4.7 मिलियन मीट्रिक टन फ़्लाई-ऐश भरने के लिए प्रदान करेगा।

एनटीपीसी लारा की ओर से कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार,, सीपत परियोजना की ओर से परियोजना प्रमुख विजय कृष्ण पांडे और कोरबा परियोजना की और से इस समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
एसईसीएल की ओर से इस समझौता ज्ञापन पर पर्यावरण महाप्रबंधक बी.के. जेना, क्षेत्रीय महाप्रबंधक भटगांव प्रदीप कुमार और विश्रामपुर महाप्रबंधक संजय कुमार ने हस्ताक्षर किए हैं। यह सहयोग NTPC और SECL दोनों संगठनों की स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों का समर्थन करने की प्रतिबद्धता को उजागर करता है।