




नगर निगम चुनावों के पहले शहर की सभी प्रमुख सड़कों के डामरीकरण और सुधारीकरण कार्य बड़े ज़ोर शोर से शुरू हुआ था, हर तरफ़ दिन रात सड़क डामरीकरण की मशीनें काम में लगी हुई दिखाई देती रही हैं, निगम प्रशासन की तरफ़ से ख़ुद कमिश्नर अपनी तकनीकी टीम के साथ सड़क डामरीकरण कार्य की गुणवत्ता जांचने फ़ील्ड पर उतरते दिखे। इसके अलावा कमिश्नर ने निगम की टीएल बैठकों में सभी सड़कों के कार्य तय समय सीमा में पूरा करवाने तक़नीकी विभाग को सख़्त हिदायत भी दी। लोगोंं को लगने लगा कि अब तो चुनाव परिणाम आते तक शहर की सभी प्रमुख सड़कें पूरी गुणवत्ता के साथ चकाचक हो ही जायेंगी। इस बात में कोई किंतु परंतु नहीं कि जिस गुणवत्ता के साथ दो दो लेयर में सड़कों का डामरीकरण हुआ, ऐसा काम इससे पहले शहर के लोगों ने पहले कभी नहीं देखा। मगर जैसे ही चुनाव ख़तम हुए, परिणाम जारी हुए और भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में एक तरफ़ा परिणाम आये, उसके बाद से ही सड़क डामरीकरण और सुधारीकरण का काम गति के लिहाज़ से धीमा पड़ गया।
शहर के ह्दय स्थल सत्तीगुड़ी चौक से घड़ी चौक तक एक लेयर का काम किये पंद्रह दिन हो चुके हैं, अभी तक टॉप लेयर का काम करने की ज़रूरत ठेकेदार ने महसूस नहीं की है, वहीं सत्तीगुड़ी चौक से शोभासदन तक का एक हिस्सा अधूरा पड़ा है। कोतरा रोड में सड़क डामरीकरण होने के बाद सफ़ेद रेडियम पट्टी का काम भी अधूरा ही दिखाई दे रहा है। शहर की अधिकांश सड़कों के डिवाईडर में सफ़ेदी पोतकर छोड़ दिया गया है, सीमेंट के डिवाईडर मरम्मत का काम भी गुणवत्ताविहीन साफ़ नज़र आ रहा है।
अब ऐसे में निगम की कार्यशैली और ठेकेदारों की मनमानियों पर सवाल उठने लगे हैं, लोग तो यहां तक कहते नज़र आ रहे हैं कि सड़क डामरीकरण और सुधार कार्यों में दिखाई देने वाली तत्परता क्या निगम चुनाव तक के लिए ही थी?