भारतीय संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर सेवानिवृत्त बैंकर्स क्लब (Retd) द्वारा 26 नवंबर संविधान दिवस पर जिला ग्रन्थालय सभाकक्ष में परिचर्चा का आयोजन किया। परिचर्चा में वक्ताओं ने भारतीय संविधान को अपनाने की ऐतिहासिकता के साथ साथ संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकार कर्तव्य और समय समय पर उसमें किए गए संशोधनों पर गंभीरता से अपने विचार रखे। इसी आयोजन में यह भी तय किया गया कि संविधान के मूलभूत विषयों को लेकर शैक्षणिक संस्थाओं में बातचीत आयोजित की जाए।इस अवसर पर संविधान निर्मात्री समिति के कुछ सदस्यों को दिए राष्ट्रपिता बापू के जंतर का भी स्मरण किया गया कि “तुम्हें एक जन्तर देता हूं, जब भी तुम्हें संदेह हो या तुम्हारा अहम् तुम पर हावी होने लगे, तब तो यह कसौटी आजमाओ, जो सबसे ग़रीब और कमज़ोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा। क्या उससे उसे कुछ लाभ पहुंचेगा? क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर कुछ काबू पा सकेगा? यानि क्या उससे उन करोड़ों लोगों को स्वराज्य मिल सकेगा जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त है? तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहम् समाप्त होता जा रहा है।” परिचर्चा में सेवानिवृत्त शिक्षाविद् पीएस खोडियार, आर एल चंद्रिकापुरे, अजय पटेल , निर्मल सिंह, अफ़सर हुसैन, मनोज जी, नरेंद्र पर्वत, रविन्द्र चौबे, हर्ष सिंह, अभिषेक सोनी, मेहुल वर्मा, सागर यादव,अजय साहू ,प्रमोद सराफ की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। बैंकर्स क्लब (RETD) रायगढ़ ने जिला ग्रन्थालय के अशोक पटेल, यादव जी सहित परिचर्चा में मौजूद सभी विद्वानों के प्रति आभार प्रदर्शित कर कार्यक्रम का समापन किया।