15 से 17 नवंबर की तारीख हुई तय, मधुगुंजन समिति की बैठक में आये ढेरों सुझावों पर हुआ मंथन
कला की नगरी, प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी रायगढ़ में रायगढ़ की कला परंपरा एवं महाराजा चक्रधर सिंह आश्रय नीति की अनुयायी संस्था मधुगुंजन संगीत समिति एवं रायगढ़ कथक घराने की विधिवत शिक्षा हेतु समर्पित संस्था वैष्णव संगीत महाविद्यालय द्वारा आयोजित होने वाली तीन दिवसीय राष्ट्रीय नृत्य ,संगीत ,कला प्रतियोगिता और नृत्योत्सव “मधुगुंजन श्रृंगार 2024” हेतु पहली बैठक बीते 15 अगस्त को आयोजित की गई, जिसमें उक्त कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु टीम में विभागों का निर्धारण सुनिश्चित किया गया, साथ ही आवश्यक विषयों और सदस्यों से प्राप्त सुझावों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई, आने वाले नवंबर महीने की 15,16 और 17 तारीख को पंजीरी प्लांट स्थित नगर निगम आडिटोरियम में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी, जिनमें देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिभागी 16 अलग-अलग विधाओं में अलग-अलग ऐज कैटेगिरी में हिस्सा लेकर अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे, इसी कार्यक्रम के दूसरे खंड के रूप में शाम 6 बजे से 8 बजे तक देश भर से प्रतिभावान युवा कलाकारों की नृत्य प्रस्तुतियां होगी, शाम 8 बजे पुरस्कार वितरण समारोह होगा, ग़ौरतलब से कि पहली बार यह कार्यक्रम बिलासपुर में आयोजित किया गया था, फिर विगत दो वर्षों से इस कार्यक्रम को कला नगरी रायगढ में आयोजित किया गया, जिसे अपार सफलता मिली थी,आयोजन के इन वर्षों में देश भर से अब तक 1100 प्रतिभागियों की लगभग 650 प्रस्तुतियां हो चुकी हैं,नृत्य संगीत कला के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रतिभावान छात्रों के लिए यह एक खुला मंच साबित हुआ है, नृत्य संगीत कला के संरक्षण की परिपाटी रायगढ़ की रही है तथा इस परंपरा का अनुसरण करने वाली संस्था मधुगुंजन संगीत समिति सन 1995 से अनवरत कार्य कर रही हैं , 1995 से 2000 के मध्य उक्त कार्यक्रम की धूम रही थी जिसमें नामधारी सिंह दिनकर, पं.राजेंद्र गंगानी, रिंपा शिवा, जैसे अनगिनत अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध नाम शामिल है जिन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन उक्त समारोह में किया था, युवा कलाकारों को समर्पित उक्त कार्यक्रम को एक अलग रूप से विगत 3 वर्षों से पुनः प्रारंभ किया गया है उक्त कार्यक्रम के द्वितीय आयोजक, कला एवं नृत्य प्रशिक्षण के क्षेत्र में विशेष स्थान रखने वाली नगर की प्रतिष्ठित संस्था वैष्णव संगीत महाविद्यालय सन 1972 से लगभग हजारों शिष्य तैयार कर चुकी हैं, समारोह के सफल आयोजन हेतु 35 सदस्यीय टीम अपने अथक परिश्रम से योगदान देते आ रहे हैं, चौथे साल के आयोजन की पूर्व तैयारियों से जुड़ी पहली विमर्श बैठक में संस्था से जुड़े पदाधिकारियों और सदस्यों की उत्साहजनक मौजूदगी बनी रही।