ट्रस्ट के पदाधिकारी और ट्रस्ट की संपत्ति पर कुंडली मारकर बैठे लोग भी चुप हैं…
दानवीर सेठ किरोड़ीमल का नाम रायगढ़ के संदर्भ में इसलिए अहम् है क्योंकि चिकित्सा, शिक्षा, धर्म, आवास से जुड़ी दर्जनों परियोजनाएं किरोड़ीमल द्वारा ही स्थापित की गई थीं, रायगढ़ में सेठ किरोड़ीमल धर्मादा ट्रस्ट का संचालन भी हो रहा है, आज के बाज़ार भाव के मुताबिक़ जिसके स्वामित्व की अरबों की अचल संपदा है, जिसका ट्रस्ट के सो काल्ड रहनुमाओं ने ही पूरी तरह बंटाधार करके रख छोड़ा है, ट्रस्ट के स्वामित्व के तमाम बड़े प्रोजेक्ट्स पर शहर के चंद लोगों ने अतिक्रमण कर लिया और ट्रस्ट उनसे संपत्ति खाली नहीं करवा पा रहा है, अब तो सेठ जी के समाधिस्थल पर भी अतिक्रमण कर लिया गया है।
आवारा बीमार घायल कुत्तों का ईलाज एक ग़ैर शासकीय संस्था द्वारा किया जाता है, जिसे जगह की ज़रूरत थी, तो सेठ किरोड़ीमल के समाधि-स्थल को ही दे दिया गया, सेठ किरोड़ीमल धर्मादा ट्रस्ट की तरफ़ से इ्सका विरोध किया जाना था, मगर हालात देखकर तो यही लगने लगा है कि ट्रस्ट के सो काल्ड रहनुमा समाधि स्थल का अस्तित्व बचाने की बजाय ट्रस्ट के स्वामित्व वाली अरबों की अचल संपत्तियों पर काबिज़ लोगों के हितों की रक्षा करने में ही लमलेट होकर ख़ुद को खपा रहे हैं।
वैसे नगर निगम को ये जवाब देना चाहिए कि सेठ किरोड़ीमल और उनकी पत्नी के समाधि-स्थल को कुत्तों के ईलाज के लिए शेल्टर की तरफ़ इस्तेमाल करने संबंधित ग़ैर सरकारी संस्था को परमिशन किस आधार पर और किसके कहने पर दी गई, इसी के साथ ही निगम की सत्ता में काबिज़ शहर सरकार को भी इस मामले पर अपना बयान जारी करना चाहिए।