बीते शुक्रवार को सूर्योदय से पहले अंधेरे में नई केलो मरीन ड्राईव की तरफ़ देवांगन समाज के उन घरों को प्रशासन के बुलडोजर ने बेरहमी से ढहा दिया, जिसमें पांच छः दशकों से लोग रहते आ रहे थे, हालांकि ये सभी घर नज़ूल यानि सरकारी ज़मीन पर बने थे। प्रशासन ने इस जगह को स्थानीय विधायक और छत्तीसगढ़ सरकार के दमदार मंत्री ओपी चौधरी के ड्रीम प्रोजेक्ट नालंदा परिसर के लिए चिन्हांकित किया है। प्रशासन की तरफ़ से अतिक्रमण हटाने का नोटिस दिया जा चुका था और प्रभावित पक्ष के लोग उच्च न्यायालय में गुहार लगाने भी जा चुके थे। प्रशासन ने हाईकोर्ट के संभावित स्टे के भय से सूर्योदय के पहले ही घरवालों को सामान निकालने का मौक़ा दिये बिना बेरहमी से बुलडोजर चला दिया। संबंधित घरों के बच्चे महिलाएं बिलखते रहे, पर उनकी एक नहीं सुनी गई। प्रभावित पक्ष का हाल जानने सभापति जयंत ठेठवार पहुंचे थे, उनकी तरफ़ से ये आग्रह किया गया कि “अगर नालंदा परिसर के लिए चिन्हांकित जगह को 30 फिट आगे की तरफझ बढ़ा दिया जाये, तो घरों को टूटने से बचाया जा सकता है।” सभापति जयंत के इस प्रस्ताव पर ग़ौर करना ज़रूरी नहीं समझा गया और सभी मकान जमींदोज़ कर दिये गये।
रायगढ़ के पूर्व विधायक प्रकाश नायक ने भी अतिक्रमण हटाने के नाम पर आनन फ़ानन में प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई को निशाने पर लेते हुए साय सरकार और स्थानीय विधायक मंत्री ओपी चौधरी को कटघरे में खड़ा किया है।
इस पूरे घटनाक्रम का दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह रहा कि भारतील जनता पार्टी और कांग्रेस के वो तमाम नेता दूरी बनाते दिखाई दिये, जो हर दुख सुख में शहर की जनता के साथ खड़े रहने का दंभ भरते नहीं थकते। समझ में ये नहीं आता कि जूटमिल से लेकर दाल मिल और अतरमुड़ा टीवी टावर मेडिकल कॉलेज रोड की तरफ़, कौहाकुंडा, अमलीभौना, मंगलूडीपा के अलावा शहर में हर तरफ़ भू-माफिया अतिक्रमण का नंगा नाच करते नहीं थक रहे हैं, मगर प्रशासन ऐसे अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई की हिम्मत नहीं दिखाता। डाक्टर रूपेन्द्र पटेल अस्पताल के सामने अतिक्रमण हटाने की ताक़त नहीं है।मगर नालंदा परिसर के नाम पर चार पांच मकानों को ढहाने में प्रशासन की फुर्ती के तो क्या ही कहने…शहर का विकास बिलकुल होना चाहिए, जिनका घर टूटा उनका भी मानना है कि विकास ज़रूर होना चाहिए, मगर विकास के नाम पर ऐसी ग़लत परंपरा की नींव रखकर ग़रीबों को ख़िलाफ़ में खड़े होने के लिए मज़बूर किया जाना क़तई उचित नहीं है। झारखंड के हज़ारीबाग में चुनाव प्रचार से समय निकालकर विधायक और मंत्री ओपी चौधरी इस बात का संज्ञान लेना चाहिए और अगर अतिक्रमण के खिलाफ़ कार्रवाई करनी ही है, तो सबसे पहले बड़े भू-माफियाओं के अतिक्रमण के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए प्रशासन को फ़्री हैंड छोड़ दें, शहर की जनता भी तो देखे कि भाजपा के राज में ग़रीबों और अमीरों में भेदभाव नहीं होता। महापौर और नेता प्रतिपक्ष भी अतिक्रमण के ख़िलाफ़ प्रशासन की हालिया कार्रवाई पर अपना रूख़ साफ़ करें, छोटी छोटी घटनाओं पर बयानवीर बनने वाले सत्तापक्ष और विपक्ष के स्थानीय नेता भी बताएं कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर जो भी हो रहा है, क्या वो सही है।