चक्रधर कला संगीत महाविद्यालय और लोक मंच नाचा के कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियों से रोशन हुआ मंच
कला एवं संगीत के प्रति अपने लगाव के कारण स्वर्गीय भवानीशंकर मुखर्जी शहर में जाने और पहचाने जाते थे, उनकी जन्म शताब्दी के मौक़े पर उनकी छः बेटियों ने मिलकर 28 दिसंबर 2019 को भवानी शंकर मुखर्जी स्मृति कला सम्मान की स्थापना एक बेहद गरिमामय समारोह के दौरान की थी, भवानी शंकर मुखर्जी स्मृति में पहला सम्मान कलागुरू संगीत शिरोमणी वेदमणी सिंह ठाकुर को प्रदान किया गया था। 2020 का कला सम्मान अजय आठले, 2021 का कला सम्मान रंगकर्मी डॉ योगेन्द्र चौबे को, 2022 का कला सम्मान कोलकाता में बाऊल गायिका मीठू को प्रदान किया जा चुका है। चूंकि इस कला सम्मान की परिकल्पक शिबानी मुखर्जी का निधन 2023 में हो गया था, इसलिए एक साल आयोजन स्थगित किया गया। इस साल तय किया गया कि पंचम वर्ष 2023 का कला सम्मान चक्रधर कला संगीत महाविद्यालय की संस्थापक सदस्य संगीत साधक श्रीमती चंद्रा देवांगन को और षष्ठम् वर्ष 2024 का कला सम्मान लोक कलाकार रंगकर्मी अभिनेता और लोकमंच नाचा के संस्थापक हुतेंद्र ईश्वर शर्मा कोप्रदान किया जाये।
बीते 14 सितंबर रविवार को हिंदी दिवस के ख़ास मौक़े पर स्टेशन रोड स्थित मिलनी कालीबाड़ी में कला और संगीत से जुड़े लोगों की मौजूदगी के बीच भवानी शंकर मुखर्जी स्मृति कला सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें बतौर अतिथि कलागुरू मनहरण सिंह ठाकुर, कवियत्री आशा मेहर, शिक्षाविद् मंजुला चौबे, शिक्षाविद् पीएस खोड़ियार, संगीत साधक जगदीश मेहर, सेवानिवृत्त शिक्षाविद् बद्रीशंकर मुखर्जी की मंच पर विशेष मौज़ूदगी रही। बेहद गरिमामय माहौल के बीच कल्याणी मुखर्जी, देवव्रत गांगुली और लीना गांगुली द्वारा श्रीमती चंद्रा देवांगन और हुतेंद्र ईश्वर शर्मा को शाल श्रीफल सम्मान पत्र और प्रतीक चिन्ह के साथ 11-11 हज़ार की सम्मान राशि के रूप में भवानी शंकर मुखर्जी स्मृति कला सम्मान प्रदान किया गया।
स्वर्गीय भवानीशंकर मुखर्जी का गायन और वादन ख़ासकर तबला पखावज़ के प्रति उनका लगाव रहा है लिहाज़ा उनकी स्मृति में स्थापित किये गये कला सम्मान समारोह के मौक़े पर श्री चक्रधर कला संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा अपने प्रशिक्षक गुरूओं के निर्देशन में शास्त्रीय गायन, शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुतियों से समां बांध दिया गया, वहीं हुतेंद्र ईश्वर शर्मा के निर्देशन में लोक कला मंच नाचा के कलाकारों ने छत्तीसगढ़ी लोकगीतों की प्रस्तुतियां हुईं। स्वर्गीय भवानीशंकर मुखर्जी की छः बेटियां थीं, शिबानी के निधन के बाद पांच बेटियों ने पिता के कला के प्रति लगाव को लेकर उनकी स्मृति अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये कला सम्मान की स्थापना की थी, जिसकी समाज में खूब सराहना की जा रही है, कला सम्मान के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी इस परिवार द्वारा लगातार प्रतिबद्धता और संवेदना के साथ चैरिटी कार्य किया जा रहा है। बहरहाल बेटियों ने अपने पिता की याद में कला सम्मान की स्थापना करके समाज में एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है। भवानी शंकर मुखर्जी स्मृति कला सम्मान की यात्रा आने वाले वर्षों में भी जारी रहेगी।