रायगढ़ की माटी के लाल योगेंद्र NSDयन की बेहद समृद्ध है कला यात्रा
देश प्रदेश के रंगमंच और कला संगीत के क्षेत्र में डा योगेंद्र चौबे का नाम किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है, रायगढ़ में भारतीय जन नाट्य संघ इप्टा से प्रतिबद्ध रंगकर्म के जरिए अपनी कला यात्रा की शुरुआत करने वाले आज के डॉ योगेंद्र चौबे को पिंटू के नाम से जानते और मानते हैं। योगेंद्र ने वर्ष 2005 में रंगमंच की अकादमिक तालीम के सर्वोच्च संस्थान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय NSD दिल्ली से पास आऊट हुए और 2005 में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में नाट्य विभाग की स्थापना के साथ ही जुड़े हैं। अब डा योगेंद्र चौबे इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में नाट्य विभाग के प्रमुख हैं, आकाशवाणी अंबिकापुर से इनके लोकगीतों का प्रसारण भी होता है। डॉ योगेंद्र चौबे ने अब तक देश विदेश के कई बड़े नाट्य निर्देशकों के साथ बतौर अभिनेता और सहायक निर्देशक के रूप में काम किया है, योगेंद्र ने अपने अद्भुत निर्देशकीय कौशल का परिचय देते हुए लगभग साठ से सत्तर नाटकों और रंग कोलाज़ तैयार किये हैं, नई पीढ़ी में अभिनय और निर्देशन की तक़नीकी समझ विकसित कर रहे हैं, देश के अलग अलग हिस्सों में रंगमंच के सेमीनार और गोष्ठियों में शिरक़त कर चुके हैं। डॉ योगेंद्र चौबे संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली सहित देश की कई यूनिवर्सिटीज़ में विशेषज्ञ सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की एक्सपर्ट कमेटी और संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली की एडवायजरी कमेटी (रंगमंच) के सदस्य हैं, डॉ योगेंद्र ने मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित राजा मानसिंह तोमर कला संगीत महाविद्यालय के नाट्य विभाग में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और वर्तमान में इंदिरा कला एवं संगीत महाविद्यालय लोक संगीत कला संकाय के डीन हैं साथ ही संस्कार भारती के प्रांतीय उपाध्यक्ष हैं। अपने बहुआयामी व्यक्तित्व के साथ डा योगेन्द्र ने रंगमंच और लोक कलाओं के विषय में रिसर्च के साथ किताबें भी लिखी हैं, जो लोक कला और रंगमंच से जुड़े लोगों के लिए बेहद उपयोगी हैं।
डॉ योगेंद्र चौबे रायगढ़ के चक्रधर समारोह में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के लोक संगीत एवं कला संकाय के डॉ बिहारी ताड़म, रामचंद्र सरपे और पूरी टीम के साथ बतौर मार्गदर्शक प्रस्तुति देने आज 12 सितंबर को पहुंच चुके हैं। रायगढ़ की कलाप्रेमी जनता इन सभी प्रस्तुतियों का दिल खोलकर आनंद लेगी, क्योंकि इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के कलाकार झमाझम प्रस्तुति के लिए तैयार हैं।