एक तरफ़ जहां सारा वातावरण नारी शक्ति की आराधना के विशेष पारंपरिक पर्व नवरात्रि की सकारात्मक ऊर्जा से सराबोर है, वहीं इसी बीच आगामी आठ अक्टूबर को देश की मशहूर शख़्सियत श्रीकांत बोला नेत्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए रायगढ़ आ रहे हैं। यहां बताना ज़रूरी है कि नेत्रदान देहदान के लिए समर्पण भाव से काम कर रही संस्था देवकी रामधारी फ़ाउन्डेशन के आग्रह पर श्रीकांत बोला ने रायगढ़ आना सहर्ष स्वीकार किया, आठ अक्टूबर को जिंदल आडिटोरियम में एक भव्य कार्यक्रम में उनके द्वारा समाज में नेत्रदान को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। देवकी रामधारी फ़ाउन्डेशन के संस्थापक युवा व्यावसायी दीपक अग्रवाल और डायरेक्टर लता अग्रवाल के समर्पित प्रयासों में गोल्डन बुक आफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में रायगढ़ का नाम दर्ज़ हो चुका है और महामहिम राष्ट्रपति ने देवकी रामधारी फ़ाउन्डेशन के प्रयासों की सराहना भी की है। रायगढ़ में श्रीकांत बोला का कार्यक्रम आयोजित कर देवकी रामधारी फ़ाउन्डेशन ने एक बड़ा काम किया है।
गूगल में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक़ श्रीकांत बोल्ला का जन्म 7 जुलाई 1991 को आंध्रप्रदेश, मछलीपट्टनम के सीतारामपुरम में एक तेलुगुभाषी परिवार में हुआ था, उनके माता-पिता अशिक्षित थे, पहले बच्चे के रूप में जन्मे श्रीकांत जन्म से ही दृष्टिहीन थे, उनका बचपन संघर्ष से भरा था, चूँकि वे दृष्टिहीन थे, इसलिए शिक्षा के अवसर भी संघर्षपूर्ण थे। 2012 में श्रीकांत बोला ने अपने व्यापारिक साझेदार रवि मंथा के साथ बोलांट इंडस्ट्रीज की स्थापना की। उन्होंने 2022 में वीरा स्वाति से शादी कर ली, 2024 में बोला दंपति को एक बेटी हुई, जिसका नाम उन्होंने नयना रखा।
स्कूल में बोला विज्ञान पढ़ना चाहता था, लेकिन अपनी दृष्टिबाधितता के कारण वह ऐसा करने में सक्षम नहीं था। भले ही उसने अपनी बारहवीं बोर्ड परीक्षा में 98% अंकों के साथ अपनी कक्षा में टॉप किया हो, लेकिन स्कूल में दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए कोई सुविधा नहीं थी। बोला ने कोर्ट में केस दायर किया और छह महीने के इंतज़ार के बाद उसकी दृढ़ता का फल उसे तब मिला, जब वह जीत गया और विज्ञान पढ़ने वाला आंध्र प्रदेश का पहला दृष्टिबाधित छात्र बन गया।
स्नातक होने के बाद श्रीकांत को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के लिए कोचिंग संस्थानों में प्रवेश से वंचित कर दिया गया, उन्होंने अंधेपन के कारण इंजीनियरिंग करने का फैसला किया। श्रीकांत बोला दृष्टिबाधित लोगों के लिए अवसर पैदा करने में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति रहे हैं। श्रीकांत बोला की ज़िंदगी में उनके माता पिता के अलावा उनकी टीचर का विशेष योगदान रहा है, अंधे होने की वजह से जब श्रीकांत को तिरस्कार का सामना करना पड़ा, तब उनकी टीचर ने ही उन्हें ना केवल टूटने से बचाया, बल्कि जीवन में आत्मविश्वास भर दिया। श्रीकांत की पत्नि स्वाति और दोस्त रवि ने भी श्रीकांत को मज़बूत बनाने में अहम् भूमिका निभाई थी। श्रीकांत बोला की संघर्षपूर्ण ज़िंदगी पर हाल ही में एक हिंदी फ़िल्म भी बनी है, जिसमें श्रीकांत का क़िरदार मशहूर अभिनेता राजकुमार राव ने निभाया है।
वे 2005 से युवा नेता हैं और लीड इंडिया 2020: द सेकेंड नेशनल यूथ मूवमेंट के सदस्य भी बने। भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा शुरू किया गया अभियान लीड इंडिया 2020 भारत से ग़रीबी, अशिक्षा और बेरोज़गारी को मिटाकर एक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य तक पहुँचने में मदद कर रहा है।