सरस्वती राईस मिल की रजिस्ट्री में मिलीभगत से कर दिया गया बड़ा खेल
रायगढ़ जिला मुख्यालय से महज़ कुछ ही दूरी पर पुसौर तहसील के सहदेवपाली स्थित सरस्वती राइस मिल की रजिस्ट्री का मामला सुर्ख़ियों में बना हुआ है। बिलासपुर संभागायुक्त ने जांच के आदेश भी दे दिए हैं। इसके बाद एसडीएम ने क्रेता-विक्रेता और पटवारी-आरआई की भूमिका की जांच करने रज़िस्ट्री से जुड़े दस्तावेज़ तलब किए हैं। अब तो बहुत जल्द यह काला कारनामा बेपर्दा होगा और सरकार को नुकसान पहुंचाने वालों के चेहरे भी बेनक़ाब होंगे।
कैसी अजीब विडंबना है कि आम आदमी को एक वैध सीमांकन या नामांतरण कराने के लिए राजस्व विभाग के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं, मगर वहीं कुछ धन्ना सेठों को तत्काल की सुविधा मिल जाती है। कितना भी नियम विरुद्ध काम हो, अगर वज़न सही है, तो चुटकियों में काम हो जाता है। सरस्वती राइस मिल मामले में भी कुछ ऐसा ही है। स्टाम्प ड्यूटी बचाने के लिए एक ही खसरा नंबर के करीब सवा एकड़ हिस्से का डायवर्सन निरस्त कर वापस कृषि भूमि कर दिया गया। जबकि ऐसा करना विधि विरुद्ध है। छग राजस्व संहिता में ऐसा कोई नियम नहीं है, जो इस काम को सही ठहरा सके। पुसौर तहसील के सहदेवपाली में पटवारी हल्का नंबर 41 खसरा नंबर 29/1 रकबा 2.771 हेक्टेयर में सरस्वती राइस मिल स्थापित की गई थी। इससे पहले 1993 में पूरी कृषि भूमि का व्यावसायिक डायवर्सन कराया गया था।भू स्वामी रामकुमार पिता नरसिंहदास ने 22-23 में आवेदन लगाया कि 2.771 हे. में से 1.901 में ही मिल लगी है। उन्होंने बाकी 0.870 हे. भूमि को पुन: व्यावसायिक/औद्योगिक से कृषि भूमि में डायवर्सन करने आवेदन लगाया। जमीन बेचने के लिए पहले डायवर्सन निरस्त करवाया। व्यवसायी रामकुमार के आवेदन पर 0.870 हे. का डायवर्सन व्यावसायिक से कृषि कर दिया गया, जबकि ऐसा कोई प्रावधान है ही नहीं। पटवारी ने रिकॉर्ड दुरुस्त कर नया खसरा नंबर 29/4 रकबा 0.870 हे. सृजित किया गया। इसके बाद ज़मीन प्रभाकर सिंघानिया पिता शंकर लाल सिंघानिया निवासी फ्रेंड्स कॉलोनी रायगढ़ को बेच दी गई। 18 अगस्त 2023 को रजिस्ट्री हुई। कमिश्नर ने कलेक्टर को इसकी जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है, जिसके परिपालन में एसडीएम ने इसकी जांच शुरू कर दी है। दस्तावेज़ तलब कर क्रेता-विक्रेता, आरआई और पटवारी को नोटिस देने की तैयारी है। कहा जा रहा है कि यह सिर्फ़ गड़बड़ी नहीं, आपराधिक साज़िश भी है, जिसमें एफ़आईआर दर्ज़ होना तय है।
सहदेवपाली एक इंडस्ट्रियल एरिया के रूप में डेवलप हो चुका है। यहां जमीनों की कीमतें आसमान में हैं। बताया जा रहा है कि सरस्वती राइस मिल के 0.870 हे. का सौदा करीब दस करोड़ में हुआ है। इसमें कैश में बहुत भुगतान हुआ है। आयकर विभाग भी इस रजिस्ट्री को लेकर सतर्क हो गया है। मात्र 60 लाख रुपए में ज़मीन का सौदा दिखाया गया है, जो नामुमकिन है।
डायवर्टेड भूमि की गाइडलाइन दर सहदेवपाली में मुख्य सड़क से 20 मीटर दूर के हिसाब से 4340 रुपए प्रति वर्ग मीटर है। 0.870 हे. मतलब 8700 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का 3,77,58,000 रुपए होगा। इसकी ढाई गुना राशि पर 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 62.30 लाख रुपए होगी। अगर ज़मीन सहदेवपाली के अंदर मानी जाए, तो दर 2590 रुपए प्रति वर्ग मीटर होगी। इस हिसाब से भूमि की वैल्यु 2,25,33,000 रुपए होती है। इसका ढाई गुना करके 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 37.18 लाख रुपए होगा। रजिस्ट्री में कृषि भूमि के हिसाब से वैल्यु ही 27,66,400 रुपए प्रति हे. के हिसाब से आकलित की गई। इस वजह से ज़मीन की क़ीमत 24.07 लाख निकाली गई। विक्रय प्रतिफल 60 लाख रुपए दर्शाया गया, जिसके आधार पर 3,96,100 रुपए स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर दिए गए। जहां सरकारी खज़ाने को 62 लाख मिलते, वहां मात्र चार लाख रुपए मिले। पहले राइस मिल रामकुमार पिता नरसिंहदास के नाम पर थी, लेकिन अब इस पर उनके पुत्र प्रवीण, संजय, संदीप बंसल समेत पौत्र प्रखर, अनमोल, मयंक, वैभव, दिव्यांश और रश्मि बंसल का नाम चढ़ाया जा चुका है। बताया जा रहा है कि क्रेता और विक्रेता की मौत हो चुकी है।
“इस मामले में रायगढ़ एसडीएम ने बताया कि जांच के आदेश मिले हैं, जल्द ही इसमें दस्तावेज़ तलब कर संबंधितों को नोटिस दिया जाएगा। सरकार को राजस्व क्षति पहुंचाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”