छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा रायगढ़ में हर हाल आयोजित किये जाने वाले ऐतिहासिक सांस्कृतिक महोत्सव चक्रधर समारोह का यह 39वां वर्ष है, समारोह के तीसरे दिन संगीत की महफ़िल में देश दुनिया के नामचीन तबला वादक और परकशन आर्टिस्ट जीतू शंकर ने फ़्यूज़न संगीत की अनोखी प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया। मंच पर शास्त्रीय वाद्य यंत्रों सारंगी, सितार और संतूर की सुरीली धुनों के साथ तबले की थाप, ड्रम्स और परकशन का जादुई संगत सुनने को मिला, जिससे श्रोताओं के साथ समारोह का पूरा मंच रोमांचित हो उठा। देश राग से उनकी प्रस्तुतियों का सफ़र शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने राजा चक्रधर सिंह को ‘महाराज जी थारे घर आए’ गीत के माध्यम से नमन् किया। मंच पर वाद्य यंत्रों से “जब पधारो म्हारे देस” के सुर निकले तो अपने देश की मिट्टी की ख़ुशबू संगीत की धुनों के रूप में सुनने वालों के जेहन में उतर गई। संतूर में बजती पहाड़ी धुनों ने श्रोताओं को कश्मीर की वादियों में होने का एहसास दिलाया। कार्यक्रम में शांत और मधुर रागों से शुरू हुआ सांगीतिक सफ़र धीरे-धीरे ऊर्जावान धुनों में तब्दील हो गया, संगीत की हर धुन में भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई और आधुनिकता का अनोखा संगम था। जीतू शंकर के साथ उनके दोनों बेटों ऋषभ शंकर ने ड्रम्स पर और पीयूष शंकर ने ज़ैंबे पर संगत की, वहीं सारंगी पर उस्ताद शाहरुख ख़ान, संतूर पर मंगेश जगताप, सितार पर उस्ताद सलमान ख़ान ने संगत की।
जीतू शंकर एंड टीम की प्रस्तुतियां इतनी शानदार रहीं कि कला-रसिक दीर्घा में मौजूद लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सभी कलाकारों से जुड़कर जुगलबंदी की। तबला, संतूर, सितार, सारंगी, ड्रम्स और जैम्बे के साथ श्रोताओं के तालियों की थाप ने समारोह के पूरे माहौल में अद्भुत ऊर्जा भर दी।
दोहरे मापदंडों के कारण हमेशा सवालों के घेरे में रहता है नगर निगम का अतिक्रमण के ख़िलाफ़ अभियान
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