
रायगढ़/ कलागुरू संगीत शिरोमणि वेदमणि सिंह ठाकुर नहीं रहे, सोमवार की दोपहर दरोगापारा निवास लक्ष्मण संगीत महाविद्यालय में उन्होंने 90 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली, राज्य सरकार ने 2022 में कलागुरू वेदमणि सिंह ठाकुर को संगीत साधना के लिए चक्रधर सम्मान से नवाज़ा था। वेदमणि सिंह ठाकुर अपना तख़ल्लुस यानि उपनाम “बेदम” लिखते थे, उनकी कई रचनाएं स्थानीय और क्षेत्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होती रही हैं। कलागुरू वेदमणि सिंह बीते कुछ महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे, लंबे सघन ईलाज के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
कलागुरू वेदमणि सिंह ठाकुर को वर्ष 2019 में पहला “भवानी शंकर मुखर्जी स्मृति कला सम्मान” भी प्रदान किया गया था। रायगढ़ की संपूर्ण कला बिरादरी वेदमणि सिंह ठाकुर का भरपूर सम्मान करती है, रायगढ़ इप्टा के साथ तो उनके रिश्ते अभिभावक तुल्य रहे हैं। इप्टा के नाटकों को देखकर उसकी समीक्षा भी उनके द्वारा समय समय पर की जाती रही है। वेदमणि सिंह ठाकुर ने लक्ष्मण संगीत महाविद्यालय को अपने दिवंगत पिता जगदीश सिंह दीन “मृदंगार्जुन” की विरासत के तौर पर ना केवल सहेजा संभाला बल्कि इस संस्थान से हज़ारों बच्चों युवाओं को शास्त्रीय संगीत की तालीम दी। उनके द्वारा प्रशिक्षित तमाम शिष्य देश दुनिया में संगीत साधना के ज़रिए नाम कमा रहे हैं। उन्हीं के शिष्यों में से कुछ ने रायगढ़ में संगीत शिक्षा के अलग अलग संस्थान संचालित कर लिये हैं, इन संस्थानों से भी बड़ी तादाद में बच्चे और युवा शास्त्रीय संगीत की परंपरागत शिक्षा हासिल कर रहे हैं।
कलागुरू वेदमणि सिंह ठाकुर का नाम रायगढ़ में चक्रधर समारोह की नींव रखने वालों में लिया जाता है। आज उनके निधन से रायगढ़ ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की समूची कला बिरादरी को अपूर्णीय क्षति हुई है। रायगढ़ के संदर्भ में अगर देखें तो शास्त्रीय संगीत की परंपरागत शिक्षा के लिहाज़ से एक समृद्ध युग का अंत हो गया है, कलागुरू वेदमणि सिंह ठाकुर के निधन के बाद जो शून्य निर्मित हुआ है, उसकी भरपाई असंभव है। रायगढ़ इप्टा परिवार अपने अभिभावकतुल्य कलागुरू वेदमणि सिंह ठाकुर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है साथ ही उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है। इस दुःख की घड़ी में रायगढ़ इप्टा के सभी साथी कलागुरू के परिवार के साथ है।