
रायगढ़ में जब अमित कटारिया कलेक्टर थे, तब उन्होंने केलो रिवर फ़्रंट की परिकल्पना की थी और तभी उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए सर्व कराकर पेन-पेपर में पूरा ब्ल्युप्रिंट तैयार कर लिया था, जिसका डिजीटल स्वरूप भी सुरक्षित रखा गया था, मगर कटारिया साहब का तबादला हो गया और केलो रिवर फ़्रंट प्रोजेक्ट अंजाम तक पहुंचने से पहले ही डिब्बाबंद हो गया। लगभग बारह साल बाद अमित कटारिया के बैचमेट ओपी चौधरी रायगढ़ से विधायक बने और केलो रिवर फ़्रंट प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया, अब चूंकि ओपी चौधरी छत्तीसगढ़ सरकार में वित्तमंत्री की भूमिका वाले सबसे दमदार मंत्री हैं लिहाज़ा रायगढ़ में केलो रिवर फ़्रंट जैसे तमाम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के लिए पैसों की कमी तो होने से रही। अब केलो रिवर फ़्रंट के तहत् नदी की दोनों तरफ़ उन्नत मरीन ड्राईव की तैयारी युद्धस्तर पर शुरू हो चुकी है।
ऐसे में केलो के किनारे लोगों की आस्था के केंद्र शनिमंदिर और जगदंबा आश्रम परिसर को व्यवस्थित करने की ज़रूरत है, शनिमंदिर के पास तो इतना ख़तरनाक टर्निंग प्वाइंट है जहां हर घंटे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है, यह क्षेत्र भी अतिक्रमण की चपेट में है, वहीं जगदंबा आश्रम के नीचे की तरफ़ काफ़ी पुराना घाट है जो खंडहर होता जा रहा है, इस घाट में नशाखोरों का जमावड़ा हमेशा बना रहता है इसलिए यह केलो मरीन ड्राईव का असुरक्षित इलाक़ा बनता जा रहा है। अब जब केलो रिवर फ़्रंट का काम शुरू हुआ है तो जगदंबा आश्रम घाट और शनिमंदिर परिसर को अतिक्रमण मुक्त करना ज़रूरी है। ग़ौरतलब है कि अधूरे जूटमिल रोड आरओबी का निर्माण अमित कटारिया के कार्यकाल में पूरा हुआ था और शनिमंदिर को हटाकर केलो के किनारे क्रेडाई रायगढ़ के सहयोग से नया बनाया गया था।

शनि मंदिर के आगे केलो नदी के किनारे पुल के पास जो खाली जगह है वहां मालवाहक जेडी ट्रांसपोर्ट की चारपहिया वाहनों को अव्यवस्थित खड़ा कर दिया जाता है साथ ही इस खाली जगह में भी अतिक्रमण के हालात बने रहते हैं, जिससे दुर्घटना का ख़तरा होना स्वाभाविक है। निगम प्रशासन इस दिशा में अतिक्रमणमुक्त व्यवस्था बनाये तो बेहतर होगा।
