

शहर में एक तरफ़ जहां तालाबों को संरक्षित करनेऔर सुंदर बनाने के लिए नगर निगम द्वारा करोड़ों के प्रोजेक्ट्स लाये जा रहे हैं, वहीं शहर के ही कुछ हिस्सों में दशकों से अस्तित्व में रहे तालाबों को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के लिए बड़ी बेरहमी से पाटा जा रहा है। कोतरा रोड चूना भट्टा के सामने वार्ड नंबर 40 में एक तालाब हुआ करता है, जिसके चारों तरफ़ मेढ़ में बड़े पेड़ भी लगे हुए थे, ऐसा बताया जा रहा है कि भूस्वामी ठाकुर टीकम सिंह और ठाकुर चंद्रमणी सिंह के हस्ताक्षर वाले 1965 के रजिस्ट्री पेपर में खसरा नंबर 194/2 के पास तालाब दर्ज़ है, मगर अब राजस्व अभिलेखों में तालाब का ज़िक्र नहीं है और इसी का लाभ तक़रीबन तीन एकड़ के एक चक में तालाब को जोड़ने के लिए उठा लिया गया, ख़बर है कि इस बड़े भूखंड में रियल एस्टेट का बड़ा प्रोजेक्ट आने वाला है, जिसके लिए ना केवल तालाब को पाट दिया गया है बल्कि बड़े पैमाने पर हरे भरे पेड़ों को भी बेरहमी से काट दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ स्थानीय नेता रवेन्दर सिंह भाटिया, अनुपम पाल, पूर्व पार्षद और वर्तमान पार्षद प्रतिनिधि अरुण देवांगन गुरूजी सहित मोहल्ले के लोगों ने तालाब पाटने और पेड़ों के काटने का विरोध दर्ज़ कराया गया, इन्हीं के द्वारा एसडीएम तहसीलदार तक मामला पहुंचाया गया, तहसीलदार ने राजस्व की टीम भेजकर जांच कराई तो पता चला कि आज की स्थिति में राजस्व रिकार्ड के आधार पर उस जगह तालाब का कोई अस्तित्व नहीं है।





स्थानीय जनप्रतिनिधियों और बाशिंदों के द्वारा ये सवाल उठाया जा रहा है कि पुरानी रजिस्ट्री में तो तालाब का उल्लेख है तो फिर तालाब को आज के राजस्व रिकार्ड में कैसे ग़ायब कर दिया गया। इस पूरे मामले को लेकर लोगों में बड़े पैमाने पर नाराज़गी इसलिए भी सामने आ रही है क्योंकि तालाब पाटे जाने के बाद बारिश का पानी विकास नगर गली नंबर 3 के किनारे बने रिहायशी मकानों में घुस रहा है, लोग काफी परेशान हैं। ग़ौरतलब है कि डबरी तालाब को पाटकर तैयार किये जा रहे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में जिस बिल्डर का नाम सामने आ रहा है उसने इससे पहले शहर में दो तीन प्रोजेक्ट लाये थे, जो काफी विवादित भी रहे हैं। बहरहाल, मोहल्लेवासियों और भाजपा के स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा जिला प्रशासन से अपेक्षा जताई जा रही है कि प्रश्नाधीन भूखंड के मौजूदा और 1965 के पुराने स्टेटस की दोबारा जांच कराई जाये, जिससे ये पता चल सके कि राजस्व अभिलेखों में की गई छेड़छाड़ की संभावना सच के कितने क़रीब है। वहीं अपेक्षा ये भी की गई है कि भविष्य में इस जगह से बड़ और पीपल के बेहद पुराने पेड़ों को काटने की अनुमति बिलकुल भी ना दी जाये।