


शहर की मुस्लिमों की बहुलता वाले चौक चौराहों और गलियों का नज़ारा जुम्मा यानि शुक्रवार के रोज़ सुबह से ही काफ़ी बदला बदला नज़र आ रहा था, दरअसल जुम्मे को अंगरेज़ी महीने सितंबर की पांच तारीख़ जो थी और अगर इस्लामिक कैलेण्डर के हिसाब से गणना करें तो तीसरे महीने की रबी उल अव्वल की बारह तारीख़। यही वो मुक़द्दस महीना और तारीख़ है, जब इस्लाम के संस्थापक पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद साहब सलल्लाहो अलैह वसल्लम ने पैदाईश ली थी, इस्लाम में उन्हें आख़री नबी माना गया है, हज़रत मोहम्मद सलल्लाह-ओ-अलैह वसल्लम की यौम ए पैदाईश के मुबारक़ दिन जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी मनाये जाने की इस्लामिक रवायत है, परंपरा है। मुस्लिम रवायत के मुताबिक़ नबी की पैदाइश के मुक़द्दस दिन को त्यौहार के तौर पर बड़ी ख़ुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है, इस साल जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मुक़द्दस मौक़े पर सिरतुन्नबी कमेटी के नेतृत्व में मुस्लिम समुदाय द्वारा अपने प्यारे नबी के सम्मान में ज़बरदस्त जुलूस निकाला गया, शुक्रवार की दोपहर चांदनी चौक में ज़बरदस्त नज़ारा देखने को मिला, शहर के कई अलग-अलग हिस्सों से मुस्लिम जमात के जुलूस चांदनी चौक पहुंचे और यहां से एक बड़े जुलूस की शक्ल में जुलूस-ए-मोहम्मदी के साथ शहर की सड़कों पर निकले, सभी अहम चौक चौराहों से होते हुए जश्ने ईद मिलादुन्नबी का जुलूस ग़ुज़रा।


जश्ने ईद मिलादुन्नबी के भव्य जुलूस में बड़ी तादाद में मुस्लिम जमात के आशिक-ए-रसूल महिला, पुरुष, युवा और बच्चे शरीक़ हुए, शहर के जिस जिस हिस्से से होकर जश्ने ईद मिलादुन्नबी का जुलूस गुज़रा, उन रास्तों में कई जगह जुलूस के इस्तक़बाल के लिये व्यवस्था की गई थी, जश्ने ईद मिलादुन्नबी के जुलूस के दौरान पुलिस और प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था थी, हालांकि इस रवायती आयोजन को लेकर मुस्लिम जमात के प्रमुख लोगों के साथ पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने व्यवस्था संबंधी औपचारिक बैठक कर ली थी, जुलूस में पुलिस की पर्याप्त व्यवस्था तो थी ही, जामा मस्जिद इंतज़ामिया कमेटी की तरफ़ से भी मुस्लिम जमात के दर्जनों लोग जुलूस की व्यवस्था बनाने में अपना सहयोग दे रहे थे, चूंकि शहर की तासीर हमेशा सांप्रदायिक सौहार्द की रही है, लिहाज़ा बीते तमाम सालों की तरह इस साल भी भाईचारे और अमन के पैग़ाम के साथ जश्ने ईद मिलादुन्नबी का जुलूस पूरे अदब और ऐहतराम के साथ शहर की सड़कों, चौक चौराहों से होता हुआ वापस जामा मस्ज़िद पहुंचा।