बिरहोर जनजातियों पर सरकारी योजनाओं के प्रभाव विषय के साथ किया गहन शोध
रायगढ़ : बिलासपुर के करगीरोड कोटा से संचालित डॉ.सी.वी. रमन यूनिवर्सिटी ने रायगढ़ के दयानंद अवस्थी को पीएचडी की उपाधि प्रदान की है, पीएचडी पूर्ण होने के बाद अब डा दयानंद अवस्थी हो गये हैं, उन्होंने अपना शोध सी.वी.रमन यूनिवर्सिटी के ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख डॉ. अनुपम तिवारी की मार्गदर्शन में “छत्तीसगढ़ के अति संवेदनशील जनजाति (PVTG) बिरहोर पर शासकीय योजनाओं के प्रभाव का मानव वैज्ञानिक अध्ययन” विषय पर पूरा किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर.पी. दुबे और रजिस्ट्रार गौरव शुक्ला ने डॉ. दयानंद अवस्थी को उनकी उपलब्धि पर बधाई दी है। डॉ.अवस्थी पिछले 27 वर्षों से सामाजिक विकास क्षेत्र से जुड़े मानव विज्ञानी हैं, उन्होंने छग राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में अन्तर्राष्ट्रीय संगठन वर्ल्डबैंक, केयर, ईफ़ाड से जुड़ कर भी कार्य किया है। इसके अलावा वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संचालित समाज सेवी संस्था लायंस क्लब इंटरनेशनल के सक्रिय सदस्य हैं, लायंस क्लब से जुड़ कर सामाजिक सेवा कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा भी लेते रहे हैं। वर्तमान में डा अवस्थी ओडीशा में एप्सिलॉन कार्बन के मानव संसाधन एवम् प्रशासन विभाग के अंतर्गत सीएसआर गतिविधियों के संचालन की ज़िम्मेदारी सम्भाल रहे हैं। डॉ.दयानंद अवस्थी ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता, दोस्तों और शिक्षकों को दिया है। डॉ. अवस्थी ने शोध के संबंध में बताया है कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जशपुर सरगुजा जिलों में पाये जाने वाले पीव्हीटीजी बिरहोर की स्थिति सुधारने में शासकीय प्रयास काफ़ी नहीं हैं, उनमें व्यावहारिक परिवर्तन के लिए समाज के प्रत्येक सक्षम तबके को सोचना होगा। 2011 की जनगणना के मुताबिक़ छग राज्य में इनकी कुल जनसंख्या 3104 है, रायगढ़ में इनकी मौजूदगी धर्मजयगढ़, घरघोड़ा, लेलूंगा और तमनार विकासखंडों में है।भारत में छत्तीसगढ़,ओडीशा,झारखंड और पश्चिम बंगाल में इनका संकेंद्रण है, ये घुमंतू जनजाति की श्रेणी में आते हैं, कृषि और पशुपालन में ये काफ़ी पीछे हैं, रस्सी और जाल निर्माण में ये सिद्धहस्त हैं।