नाट्य विधा को सूची से फेंक दिया बाहर, आमंत्रण पत्र में छपने वाले समारोह के इतिहास से भी कर दी छेड़छाड़
दो नाटकों के प्रस्ताव समय से मेल किये गये, फिर भी नहीं किया विचारसात तारीख़ से इस साल का 39 वां चक्रधर समारोह रायगढ़ के रामलीला मैदान में आयोजित होने जा रहा है। लगभग सभी विधाओं के लिए कलाकारों और कला समूहों का चयन भी हो चुका है, आमंत्रण पत्र में सारी डिटेल भी छप चुकी है। आमंत्रण पत्र बांटे भी जा रहे हैं। सबसे पहले तो समारोह में नाट्य विधा को आयोजन से बाहर करने का षड्यंत्र किया गया, जो कि रंगकर्मियों के लिए परेशान करने वाला विषय है। जबकि चक्रधर समारोह में नाट्य मंचन के लिए दो नाटकों का प्रस्ताव आयोजन समिति के मेल आईडी में भेजा गया था, जिसकी जानकारी समारोह के प्रभारी अधिकारी को दी गई थी, बावजूद इसके नाट्य प्रस्तुतियों के दोनों प्रस्ताव खारिज कर दिये गये, अब ये कहा जाने लगा है कि नाट्य मंचन के लिए प्रस्ताव ही नहीं आया, चक्रधर समारोह के आयोजन में पहली बार ऐसा हुआ है कि नाट्य प्रस्तुतियों को षड्यंत्र के तहत् बाहर किया गया है।
सात तारीख़ से इस साल का 39 वां चक्रधर समारोह रायगढ़ के रामलीला मैदान में आयोजित होने जा रहा है। लगभग सभी विधाओं के लिए कलाकारों और कला समूहों का चयन भी हो चुका है, आमंत्रण पत्र में सारी डिटेल भी छप चुकी है। आमंत्रण पत्र बांटे भी जा रहे हैं। सबसे पहले तो समारोह में नाट्य विधा को आयोजन से बाहर करने का षड्यंत्र किया गया, जो कि रंगकर्मियों के लिए परेशान करने वाला विषय है। जबकि चक्रधर समारोह में नाट्य मंचन के लिए दो नाटकों का प्रस्ताव आयोजन समिति के मेल आईडी में भेजा गया था, जिसकी जानकारी समारोह के प्रभारी अधिकारी को दी गई थी, बावजूद इसके नाट्य प्रस्तुतियों के दोनों प्रस्ताव खारिज कर दिये गये, अब ये कहा जाने लगा है कि नाट्य मंचन के लिए प्रस्ताव ही नहीं आया, चक्रधर समारोह के आयोजन में पहली बार ऐसा हुआ है कि नाट्य प्रस्तुतियों को षड्यंत्र के तहत् बाहर किया गया है।
चक्रधर समारोह आयोजन में ऐन केन प्रकारेण ठंसकर शहर के कुछ चेहरे ऐसे हैं, जिन्होंने इस बार आमंत्रण पत्र में भी छेड़छाड़ करते हुए आयोजन से जुड़े इतिहास को प्रभावित किया है। राज्य शासन द्वारा चक्रधर कला सम्मान से सम्मानित कलागुरू वेदमणि सिंह ठाकुर का नाम ग़ायब कर दिया गया, इसके अलावा तत्कालीन मध्यप्रदेश शासन, उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत अकादमी, भोपाल और चक्रधर ललित कला केंद्र जैसी संस्थाओं के योगदान का उल्लेख करना ज़रूरी नहीं समझा गया, जिनकी भूमिका इस आयोजन के शुरूआत करने में अहम् रही है।
रायगढ़ में जनसहयोग से राज्य सरकार द्वारा आयोजित किये जाने वाले सांस्कृतिक चक्रधर समारोह को ऐतिहासिक बनाने में सबकी बराबर भागीदारी है, मगर चंद स्थानीय लोग आयोजन में वर्चस्व हासिल करके अपनी मनमानियां करने से बाज़ नहीं आते। इस बार तो बिल्ली के भाग से छींका टूटा है, इसलिए पिछले सालों की तुलना में मनमानियां कुछ ज़्यादा ही उभरकर आई हैं।