
रायगढ़ विधायक और छत्तीसगढ़ सरकार में वित्त,आवास,पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने आख़िरकार महाजेंको के एमडीओ अदाणी द्वारा गारे पेलमा सेक्टर दो के लिए सरईटोला मुड़ागांव में बेरहमी से काटे गये हज़ारों पेड़ों के मामले में चुप्पी तोड़ ही दी। हालांकि मंगलवार को जिला भाजपा कार्यालय में औपचारिक पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ की पिछली कांग्रेस सरकार को सीधे सीधे ज़िम्मेदार ठहरा दिया है। पत्रकारवार्ता में मंत्री ओपी चौधरी ने कांग्रेस को ही कटघरे में लेते हुए कहा कि “कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर कांग्रेस पार्टी और भूपेश बघेल के झूठ का पर्दाफ़ाश हो गया है। कांग्रेस चोरी और सीनाज़ोरी का उदाहरण बार-बार पेश कर रही है। अपने शासनकाल के पाँच वर्षों में मुख्यमंत्री रहते हुए भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ को दस जनपथ का चारागाह बना दिया था। शराब घोटाले, कोयला घोटाले, चावल घोटाले, गोठान घोटाले से लेकर पीएससी घोटाले तक प्रदेश के संसाधनों को जम कर लूटा गया था, आज इन घोटालों के आरोपी एक एक कर जेल जा रहे हैं और बेवजह जिस तरह अपराधियों के विरुद्ध हो रही कानून सम्मत कार्रवाई को कहीं और मोड़ा जा रहा है, जो कि दुर्भाग्यजनक और कांग्रेस में हिप्पोक्रेसी का सबसे बड़ा नमूना है। जब भी कोल ब्लॉक आवंटन और पेड़ कटाई आदि पर सवाल उठाये जाते थे, तब दस जनपथ के दबाव में सीधे तौर पर भूपेश बघेल बचाव में आ जाते थे, कहते थे कि कोल ब्लॉक आवंटन का विरोध करने वाले अपने-अपने घरों की बिजली बंद कर दें। अब सवाल ये है कि अब जब झूठे और बेबुनियाद आरोप लगा कर भूपेश बघेल अपने चेहरे में लगी कोयले की कालिख धोने की कोशिश कर रहे हैं, तो क्या वो अपने घर और राजीव भवन की बिजली बंद करेंगे? यह तथ्य है कि न केवल भूपेश बघेल ने कोल ब्लॉक अशोक गहलोत को आवंटित किया था, बल्कि उससे पहले भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में तमाम नियमों को धत्ता बताते हुए छत्तीसगढ़ के कोल ब्लॉक आवंटन की राह आसान की थी। साल 2010 में केन्द्र में काँग्रेस की सरकार थी, तब कोयला मंत्रालय और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा हसदेव अरण्य को पूरी तरह से नो-गो जोन घोषित किया गया था। उसे कांग्रेस सरकार के पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने ही सबसे पहले गो एरिया घोषित किया। 23 जून 2011 को केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रहते ही तारा परसा ईस्ट और कांटे बेसन कोल ब्लॉक को खोलने का प्रस्ताव दिया गया, जब छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी, उस वक्त अडानी को दो बड़ी खदानों गारे पेलमा सेक्टर-2 और राजस्थान में केते एक्सटेंशन ब्लॉक का ऑपरेटर बनाया गया। इसी तरह भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री कार्यकाल में ही 16 अक्टूबर 2019 को राज्य सरकार ने पर्यावरण स्वीकृति के लिए सिफ़ारिश भेजी। 31 मार्च 2021 को ओपन कास्ट गारे पेलमा सेक्टर-2, मांड-रायगढ़ कोलफील्ड के लिए हुआ समझौता भी सबके सामने है। इसी क्रम में 19 अप्रैल 2022 को भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री रहते ही कांग्रेस सरकार द्वारा वन स्वीकृति स्टेज-1 और 23 जनवरी 2023 को वन स्वीकृति स्टेज-2 के लिए सिफ़ारिश भेजी गई। महाजेंको कोल फ़ील्ड की स्वीकृति में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संलिप्तता को लेकर तब अनेक अखबारों ने समाचार भी प्रकाशित किए थे। 25 मार्च 2022 को भूपेश सरकार ने राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार के रहते राजस्थान को कोल माइंस का आबंटन किया था।”
इसी पत्रकारवार्ता के दौरान मंत्री ओपी चौधरी ने कांग्रेस की आर्थिक नाकेबंदी और चक्काजाम आंदोलन पर भी चर्चा करते हुए कहा कि “भूपेश बघेल का बेटा चैतन्य बघेल कांग्रेस के किस पद पर है, जिस व्यक्ति का कांग्रेस में कोई पद नहीं, उसके लिए पूरी कांग्रेस प्रदेश में प्रदर्शन कर रही है, इसका साफ़ मतलब है कि भूपेश बघेल ने पूरी कांग्रेस को पुत्र मुंह में झोंक दिया है। हमने पहले भी बड़े-बड़े ऐसे उदाहरण देखें हैं, जिसमें लोगों ने पुत्र मोह में ख़ुद के साथ साथ अपने पूरे साम्राज्य को भी बर्बाद किया, भूपेश बघेल भी इसी दिशा में काम करते हुए दिखाई दे रहे हैं। भूपेश बघेल और कांग्रेस भ्रष्टाचारियों को बचाने पूरे प्रदेश की जनता को परेशान कर रही है साथ ही उनका आर्थिक रूप से नुकसान भी करने जा रही है, जो की प्रदेश की जनता स्वीकार नहीं करेगी।
पत्रकार वार्ता के दौरान ओपी चौधरी से जब सवाल पूछा गया कि पिछली सरकार ने जितनी ग़लतियां कीं उसके लिए छत्तीसगढ़ की जनता से कांग्रेस को हटाकर भाजपा के हाथों सूबे की सत्ता सौंप दी, तो क्या ये उचित है कि हालात सुधारने की बजाय कांग्रेस पर दोषारोपण में ही भाजपा व्यस्त रहे, जब बतौर पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी तमनार क्षेत्र में एक पेड़ मां के नाम रोप कर आते हैं उसके महज़ कुछ ही घंटों के अंदर महाजेंको का एमडीओ अदाणी जंगल के हज़ारों पेड़ काट डालता है, इसका मतलब साफ़ है कि अदाणी को छत्तीसगढ़ सरकार के पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी का भी लिहाज़ क्यों नहीं रह गया है?” इस सवाल का कोई संतोषजनक जवाब मंत्रीजी ने नहीं दिया।
रायगढ़ जिले में भारत सरकार के NTPC LARA प्रोजेक्ट से फ़्लाई-ऐश डिस्पोज़ल के लिए परिवहनकर्ताओं द्वारा निर्धारित लोकेशन की जियो टैगिंग और वाहनों के जीपीएस सिस्टम को धत्ता बताते हुए सैकड़ों टन फ़्लाई-ऐश अवैध तरीक़े से रायगढ़ के महज़ दस किलोमीटर के रेडियस में एनएच और एसएच के आसपास डंप की जा रही है, इस मुद्दे पर जब ओपी चौधरी से बात की गई तो उन्होंने इतना ही कहा कि ऐसे ट्रांसपोर्टर्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई हो रही है।