बीते साल 2021 के सितंबर महीने में रायगढ़ जिले में अमानक उर्वरक विक्रय करने वाली नौ कंपनियों पर कार्रवाई करते हुए तत्काल विक्रय पर प्रतिबंध लगाया गया था। जिले के किसानों को अच्छी क्वालिटी का उर्वरक उपलब्ध हो, इसी उद्देश्य से निजी और सहकारी संस्था के थोक फुटकर उर्वरक विक्रेताओं से 121 सेंपल लेकर केमिकल एनालिसिस के लिए केन्द्र और राज्य की प्रयोगशालाओं में भेजा गया था, जिसमें से चम्बल फ़र्टिलाइज़र एवं केमिकल्स लिमिटेड, बी.ई.सी.फ़र्टिलाईज़र लिमिटेड, ओसवाल फ़ास्केम लिमिटेड, कृष्णा फ़ास्फेट लिमिटेड, कोरोमण्डल इंटरनेशनल लिमिटेड, अरिहंत फ़र्टिलाईज़र एवं केमिकल लिमिटेड, एग्रोफ़ास इंडिया लिमिटेड, खेतान केमिकल एवं फ़र्टिलाइज़र लिमिटेड और इंडियन फ़ार्मर्स फ़र्टिलाइज़र कंपनी लिमिटेड उर्वरक नमूने गुणवत्ताविहीन पाये गये थे।प्रयोगशालाओं से अमानक घोषित किए जाने से तत्कालीन कृषि उप संचालक रायगढ़ द्वारा उर्वरक (नियंत्रण)आदेश 1985 के तहत् कार्यवाही करते हुए तत्काल विक्रय पर प्रतिबंध लगाया गया था।
उर्वरक नमूना अमानक पाये जाने पर 2021 में ही अधिसूचित प्राधिकारी (उर्वरक) और रायगढ़ के उप संचालक कृषि ने सेवा सहकारी समिति मर्यादित सहसपुर, सारंगढ़ द्वारा उर्वरक डीएपी तथा मेसर्स उदित बीज भण्डार धरमजयगढ़ द्वारा सिंगल सुपर फॉस्फेट उर्वरक नमूना अमानक पाये जाने के बाद जिले में इस उर्वरक स्कंध के भण्डारण वितरण पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया था। इसी तरह मेसर्स भावेश ट्रेडर्स सालर, सारंगढ़ द्वारा यूरिया उर्वरक का निर्धारित से अधिक दर पर किसानों को बेचा जा रहा था, जो उर्वरक नियंत्रण आदेश का घोर उल्लंघन माना जाता है। भावेश ट्रेडर्स का उर्वरक पंजीयन प्रमाण-पत्र निलंबित करते हुए संसथान के ज़रिए निलंबन अवधि में उर्वरक ख़रीदी बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंधित लगा दिया गया था।
2021 में ही इसी तरह की कार्रवाई करते हुए अनधिकृत रूप से उर्वरक का वितरण करने और इससे संबंधित जानकारी नहीं देने पर डीपीएमके फ़र्टिलाइज़र प्राइवेट लिमिटेड, खरसिया का भी उर्वरक पंजीयन प्रमाण-पत्र निलंबित कर दिया गया था, इस संस्थान में भी निलंबन अवधि के दौरान उर्वरक ख़रीदी बिक्री पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया गया था। रायगढ़ के उप संचालक कृषि द्वारा डीपीएमके फ़र्टिलाइज़र प्राईवेट लिमिटेड खरसिया को पत्र के माध्यम से जानकारी चाही गई थी कि 31 जुलाई 2021 को कंपनी द्वारा लाये गये रेक से 3 हजार मीट्रिक टन पूरा माल कंपनी के निर्देशानुसार मार्कफ़ेड गोडाउन एवं जिला सहकारी समिति को दिया गया था, 6 अगस्त 2021 को लाये गये रेक से कंपनी के निर्देश पर 1350 मीट्रिक टन निजी उर्वरक विक्रेता को प्रदाय किया गया, उर्वरक निरीक्षक नृपराज डनसेना द्वारा प्रतिबंधित उर्वरक और मौक़े पर वितरण हेतु बाक़ी 352.26 मीट्रिक टन उर्वरक बाम्हनपाली चौक खरसिया के प्रेमचंद गोदाम में भण्डारण करने हेतु निर्देशित किया गया था, लेकिन डीपीएमके फ़र्टिलाइज़र प्रा.लि. द्वारा उक्त उर्वरक को भी बिना अनुमति के अनाधिकृत रूप से उठाव कर वितरण कर दिया गया था। निरीक्षण के दौरान पाया गया था कि प्रतिबंधित उर्वरक की कोई मात्रा निर्धारित गोदाम में बाक़ी नहीं थी, जो उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 का घोर उल्लंघन है।
तक़रीबन तीन साल पुरानी ये सारी जानकारियां आज इसलिए सार्वजनिक की जा रही हैं, क्योंकि कृषि विभाग द्वारा समय समय पर की जाने वाली ऐसी तमाम कार्रवाइयां अब संतोषजनक नहीं रह गई हैं। दरअसल अब तक होता ये आ रहा है कि जिन उर्वरक विक्रेताओं या कंपनियों के ख़िलाफ़ आरोप पुष्ट होता है, उन पर की जाने वाली कार्रवाई सख़्त की बजाय शिथिल कर दी जाती है, कुछ दिनों के निलंबन के बाद फिर वही संस्थान उर्वरक बेचने लग जाते हैं। हर साल कृषि विभाग की छापामार कार्रवाईयों का यही हाल रहता है। विधायक और केबिनेट मंत्री ओपी चौधरी को तो कृषि विभाग से उर्वरक संस्थानों में छापे के बाद की जाने वाली कार्रवाइयों का आंकड़ा मांग जाना चाहिए। कृषि विभाग की छापामार कार्रवाईयों के बाद के फ़ालोअप को लेकर झोलझाल तो ख़ूब है, इसीलिए थोक और फुटकर उर्वरक विक्रय संस्थान बेख़ौफ़ हैं।