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क्या फिर सत्ता के संरक्षण में फलने-फूलने लगा है रेत का अवैध कारोबार??घरघोड़ा क्षेत्र से हर रोज़ निकल रही अवैध रेत की हुई लिखित शिक़ायत

(जिला खनिज अधिकारी को लिखित शिक़ायत)

कहते हैं सत्ता के खुले संरक्षण में अवैध कार्य व्यापार को ज़बरदस्त रफ़्तार मिल जाती है, सत्ता चाहे किसी भी दल की हो अवैध कारोबार में लिप्त लोग अपना जुगाड़ फिट कर ही लेते हैं। अब छत्तीसगढ़ की ही बात लें तो पिछली कांग्रेस सरकार में कोयला, शराब, कबाड़ और रेत का अवैध कारोबार ख़ूब फला फूला, अब सत्ता की चाबी भारतीय जनता पार्टी के हाथों में है इसलिए भाजपा के क़रीबी लोग ऐसे अवैध कारोबार में लिप्त दिखाई देने लगे हैं। ताज़ा मामला घरघोड़ा क्षेत्र से रेत के अवैध उत्खनन का है, जिसकी लिखित घरघोड़ी के खिलावन सिंह ठाकुर ने लिखित तौर पर जिला खनिज अधिकारी को की है, खिलावन सिंह एक वेब समाचार माध्यम के प्रतिनिधि भी हैं। इस शिक़ायत में साफ़तौर पर बताया गया है कि कुरकुट नाला, कारीछापर, आमापाली, कंचनपुर, बईहामुड़ा, बरभांठा सहित दूसरी जगहों से हर रोज़ हज़ारों टन रेत अवैध तरीक़े से निकाली जा रही है, जिससे शासन को बड़े पैमाने पर राजस्व का सीधा नुकसान होता है।

इससे पहले सालों तक मांड नदी से बड़े पैमाने पर रेत का अवैल उत्खनन कर तस्करी हुई, सरिया बरमकेला क्षेत्र में महानदी के तटीय ईलाकों से अवैध खनन कर हज़ारों टन रेत निकाली गई, अब घरघोड़ा क्षेत्र अवैध रेत उत्खनन का ठिकाना बन चुका है। ऐसे अवैध खनन के लिए सत्ता का संरक्षण इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि कांग्रेस शासनकाल में मांड और महानदी से अवैध रेत का कारोबार चला, जबकि अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार में घरघोड़ा क्षेत्र केंद्र बनता जा रहा है।

चूंकि घरघोड़ा क्षेत्र से निर्वाचित सांसद राधेश्याम राठिया और सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष अरुणधर दीवान आते हैं, इसलिए उनकी नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है कि कोयला, कबाड़, शराब और रेत के अवैध कारोबार के ख़िलाफ़ हमेशा मज़बूती से खड़े रहें साथ ही ऐसी शिक़ायतें मिलने पर प्रशासन के संबंधित विभाग को कार्रवाई के लिए निर्देशित करें। इसी के साथ साथ ऐसे चेहरों पर निगाह रखें जो सत्ता किसी की भी हो, बड़े शातिराना तौर पर घुसने ठसने का जुगाड़ बना ही लेते हैं।

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