OP DIWALI 7
VIJAY AGRWAL
SUSHIL MITTAL
SOMAWAR
RADHESHIYAM
PARDKSH NAYAK DIWALI 7
RAKESH MISHRA
RATTHU
VIKAS PUSPAK
AR GURUP DIWALI 8
ARUN GUPTA
CHHABDA SELS
JAYANT DIWALI 7
AG
KIRSHI DIWALI 6
NAVNIT1
KHADHY VIBHAG
MSP
KARAN DIWALI 12 copy
OMI
RAIGARH EIPAT SANGH DIWALI
PAPPU SANJIVNI
PATEL JEWLARS
GAGAN ROD DIWALI 8
HOTAL PUSPAK DIWALI 3
CG GIRH NIRMAN DIWALI
RAMBHAGT
TINY TOES ADD
SHALBH AGRWAL ADD
TINY TOES ADD 2
TINY TOES SCHOOL
R L ADD
BALAJI METRO ADD 14 SAL
RAJPRIYA ADD
SANJIYANI ADD
RUPENDR PATEL
APEX ADD
BALAJI METRO ADD 2
Untitled-1
ANUPAM KEDIYA
SANJIVANI 1
SANJIVANI 2
SANJIVANI 3
SANJIVANI 4
SANJIVANI 5
RAIGARH ARTHO 01
RAIGARH ARTHO 02
RAIGARH ARTHO 03
RAIGARH ARTHO 03
sunground
ANUPAM ADD
GANGA SEWAK ADD 1
3
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शहर के ऐतिहासिक बूढ़ी समलाई मंदिर में शारदीय नवरात्रि उत्सव, माता के नौ रूपों की हो रही पूजा, प्रज्ज्वलित हुए भक्तों के मनोकामना ज्योति कलश

  • Raigarh
  • September 28, 2025
  • 0 Comments

शहर के नयागंज कोष्टापारा में आवाजाही से व्यस्त रहने वाली मुख्य सड़क के किनारे तक़रीबन सवा सौ साल पुराना एक मंदिर है, जहां विराजीं हैं माता बूढ़ी समलेश्वरी, माता के बाक़ी मंदिरों की तरह नवरात्रि में यहां भी खूब धूमधाम रहती है, शारदीय नवरात्रि में भी बूढ़ी बम्लेश्वरी माता के मंदिर में भक्तों के लिये  व्यवस्था की गई, मंदिर के ऊपरी परिसर में मातारानी विराजी हैं, जहां पुजारी और मंदिर प्रबंधन से जुड़े समर्पित लोग दोनों वक़्त पूजन आरती में सक्रिय रहते हैं, इस बार दस दिनों तक मातारानी के नौ अलग अलग स्वरूपों का पूरे विधी विधान से श्रृंगार पूजन किया जा रहा है, साथ ही भक्तों के मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित भी किये गये हैं, समलेश्वरी बूढ़ी माई के दिव्य स्वरूप का दर्शन करने पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ भक्त सुबह शाम पहुंचते हैं और मानसिक शांति का गहरे तक अहसास करते हैं।

रायगढ़ की बूढ़ी समलेश्वरी माता मंदिर का इतिहास तक़रीबन सवा सौ साल पुराना है, इस रियासकालीन मंदिर में विराजीं माता को लेकर भी किवदंती प्रचलित है, ऐसा बताया जाता है कि जिस जगह पर अभी मंदिर है, उस जगह ऊंचा टीला हुआ करता था, फिर उसके बाद माता खंभेश्वरी की स्थापना की गई, जो कि मंदिर के बाहर एक खंभे के रूप में दिखाई देती हैं, इसी खंभे के भीतर विशेष आकृतिनुमा वो लकड़ी है, जो केंवट को केलो नदी से बार बार मिलती थी, आज भी भक्त माता खंभेश्वरी की पूजा पहले करते हैं।

माता के इसी मंदिर में तक़रीबन साढ़े पांच दशक पहले अवधूत अघोरेश्वर भगवान राम के हाथों अखंड जोत प्रज्ज्वलित हुई थी, बनोरा वाले अघोर संत बाबा प्रियदर्शी राम के गुरू अघोरेश्वर भगवान राम उन्नीस सौ उनहत्तर में इसी मंदिर में आये थे, तब से यहां अखण्ड जोत तो जल ही रही है, बड़े सरकार और माता काली की भी पूजा नियमित तौर पर होती है, माता बूढ़ी समलेश्वरी को महिलाओं का श्रृंगार विशेषकर नवरात्रि में बढ़ाया जाता है, नवरात्रि के पहले दिन से भक्त पूरी आस्था और विश्वास के साथ माता रानी के दर पर आते हैं और अपने मन की मुरादें मानते हैं, आप सबके घर परिवार और रोज़ी रोज़गार में नौ दुर्गा के सभी स्वरूपों का भरपूर आशीर्वाद बना रहे और हम आप मिलकर इस नवरात्रि भी स्त्रियों के सम्मान का संकल्प लें, सही मायनों में नारी शक्ति की आराधना तभी पूरी हो पायेगी….

जय माता दी

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