


जब भी बारिश तेज़ और धुंआधार होती है, शहर में ज़िंदा इंसानी आबादी के कुछ ऐसे ईलाक़े हैं, जहां की ज़िंदगी पूरी तरह पटरी से उतर जाती है, लोगों का खाना पीना दूभर हो जाता है, बच्चों की पढ़ाई लिखाई चौपट हो जाती है, क्योंकि बारिश का पानी क़हर बनकर लोगों के घरों में घुसता है और मिनटों में तबाही का आलम खड़ा कर देता है। इस साल त अभी चौमासा शुरू भी नहीं हुआ और शहर के आधे से ज़्यादा क्षेत्रों में जलभराव का भीषण मंज़र देखने को मिलने लगा है, ज़ाहिर है शहर के नाले नालियों में किया गया अतिक्रमण जलभराव की मूल वजह है। इस बार तो शहर के सबसे चर्चित हाई-प्रोफाइल वार्ड नंबर 19 के जलभराव का मामला ख़ूब उछल रहा है, इस वार्ड में लोगों के घरों के भीतर बारिश का पानी घुसने से त्राहिमाम के हालात बन गये हैं। वैसे तो तीन चार दिनों से बारिश हो ही रही है मगर गुरूवार की सुबह हुई कुछ घंटे की बेतहाशा बारिश ने पैठू डभरी से लेकर रेलवे स्टेशन बंगाली पारा और बोधन गली के पास तक बरसाती पानी के जलभराव के विषम हालात बना दिए, पैठू डभरी से होकर शहर के कोतरा रोड, बैकुण्ठपुर और दरोगापारा, सत्तीगुड़ी चौक के नाले और नालियों का पानी ग़ुज़रता है और बरसात के दिनों में यही गंदा पानी लोगों के घरों में घुसता है, ये वही पैठू डबरी का ईलाक़ा है, जिसकी चर्चा हर बारिश के मौसम में होती है और यहां के बाशिंदे बरसों से बरसाती क़हर को भोगने के आदी हो चुके हैं, शहर के हाक़िम- हुक़्काम, अगर थोड़ी सी भी इंसानियत है तो काग़ज़ी और ज़ुबानी लफ़्फाजियां छोड़कर, हिम्मत है तो आंखों में आंखें डालकर इन भुगतभोगियों की पीड़ा सुनो, इन्होंने तो अपने ईलाक़े की बेहतरी की सारी उम्मीदें बरसों से उस बरसाती पानी में बहा दी हैं, जो हर साल इनके घरों में तबाही बनकर घुसता है।
इस ईलाक़े के स्थानीय जनप्रतिनिधि और निगम के आला अधिकारी मान चुके हैं कि पैठू डबरी की समस्या शहर की बहोत बड़ी समस्या है, पैठू डबरी की समस्या के स्थायी निदान का अभी तक कोई ठोस विकल्प नहीं मिल पाया है, क्योंकि यहां कि बसाहट ही शहर के सामान्य लेबल से नीचे है, पैठू डबरी से बंगालीपारा क्षेत्र के लोगों की नियति बन चुकी इस समस्या की जड़ नाले के ऊपर बड़े पैमाने पर हुआ अवैध क़ब्ज़ा है, जो प्रतीक होटल के पीछे से शुरू होकर, होटल सांई श्रद्धा के पिछवाड़े होता हुआ काली मंदिर और फिर निर्मल लाॅज तक नंगी आंखों से किसी को भी दिखलाई पड़ सकता है।

