OP
RADHESHIYAM
JIVVRADHAN
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JAYANT
SUNIL SUSHIL
VIKAS KEDIYA
GURUPAL
JINDAL STEEL BABU JI
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SHALBH AGRWAL ADD
TINY TOES SCHOOL
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R L ADD
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BALAJI METRO ADD 2
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RAIGARH ARTHO 01
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sunground
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सदन में चर्चा से भागी शहर सरकार…. बहुमत के दम पर नियमों की अनदेखी के साथ पास करा लिया 37 सड़कों के चौड़ीकरण का प्रस्ताव, LOP ने शहर सरकार की मंशा पर उठाये सवाल, भ्रष्टाचार की जताई संभावना

इसी जुलाई महीने की आठ तारीख़ को नगर पालिक निगम रायगढ़ की साधारण सभा में शहर विकास से जुड़े विभिन्न कार्यों के साथ शहर की 37 सड़कों के चौड़ीकरण का भी प्रस्ताव लाया गया, प्रस्ताव में सड़क की लंबाई का ज़िक्र तो है, लेकिन चौड़ाई को लेकर कोई उल्लेख नहीं किया गया है, इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि शहरवासियों को अंधेरे में रखकर प्रगतिनगर की तर्ज़ पर व्यापक तोड़फोड़ की मंशा निगम प्रशासन के साथ मौजूदा शहर सरकार  रखती है। दरअसल शहर सरकार सही मायनों में और सबको विश्वास में लेकर शहर विकास करना ही नहीं चाहती, वरना परिषद् की बैठक में कांग्रेस द्वारा बार-बार चर्चा की मांग को अनसुना करते हुए सिर्फ़ बहुमत के आधार प्रस्ताव को पास कराने में इतनी हड़बड़ी दिखाई नहीं देती।

नगर निगम के पूर्व सभापति और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष शेख सलीम नियरिया ने कहा है कि “निगम के साधारण सम्मेलन में विकास कार्यों को लेकर दर्ज़न भर से ज़्यादा प्रस्ताव रखे गये थे, जिसमें शहर की 37 सड़कों के चौड़ीकरण के प्रस्ताव क्रमांक 04 के तहत् अनुमोदित किया गया है। इसमें सड़कों की लंबाई का ज़िक्र किया गया है, लेकिन उन सड़कों की चौड़ीकरण किस तरह और किस पैमाने पर होगा, इसका प्रस्ताव में कोई उल्लेख नहीं है, प्रस्ताव में सड़कों के चौड़ाई का वर्णन न होने से भ्रम की स्थिति है, जो कि निकट भविष्य में शहर सरकार और प्रभावित होने वाली जनता के बीच नाहक विवाद का कारण बनेगा।” नेता प्रतिपक्ष सलीम नियरिया ने जारी अपने बयान में साफ़ कहा है कि “शहर विकास के लिए सड़कों का चौड़ीकरण ज़रूरी है, जिससे आवागमन के साथ दूसरी सुविधाओं का भी सुधारीकरण हो, लेकिन प्रस्ताव के मुताबिक़ चौड़ीकरण के मापदंडों के अभाव मज़लूमों के शोषण की क़ीमत पर ऐसा विकास क़तई बर्दाश्त नहीं है। प्रस्ताव में प्रभावितों का स्पष्ट आंकलन होना चाहिए, कलेक्टर गाइड लाइन के तहत् मुआवज़े की गणना भी सम्मिलित की जाए। अगर शहर सरकार 37 सड़कों का चौड़ीकरण डंडे के ज़ोर से प्रगति नगर, कयाघाट की तर्ज़ पर किए जाने की मंशा रखती है, तो मज़बूत विपक्ष की हैसियत से विकास की आड़ में दुर्भावना का कांग्रेस पुरजोर विरोध करेगी। विपक्ष की स्पष्ट मांग है कि मुआवज़े और पुनर्वास की स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए साथ ही शहर की जनता को विश्वास में लेकर सड़क चौड़ीकरण का कार्य किया जाए, अन्यथा कांग्रेस इस दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई के लिए सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ने कटिबद्ध है।

तक़नीकी पक्ष पर अगर ग़ौर करें तो नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत विकास कार्य से पूर्व छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 291 में स्पष्ट व्याख्या है कि क्रियान्वयन का संकल्प पारित कराने के पूर्व इस प्रावधान के अधीन आम नागरिकों से सुझाव दावा आपत्ति मंगानी चाहिए, आपत्ति प्रस्तुत करने की तिथि 30 दिन से कम नहीं होनी चाहिए, यह आपत्ति/सुझाव आयुक्त को लिखित में देनी होती है। प्रावधानों के मुताबिक़ प्राप्त दावा आपत्तियां आयुक्त को अपनी अनुशंसा से साथ महापौर/ परिषद के समक्ष प्रस्तुत करना होता है, जहां से आगे की कार्रवाई सुनिश्चित होती है, जबकि शहर विकास के लिए सड़कों के चौड़ीकरण का प्रस्ताव लाने के पूर्व नगर पालिक निगम के अधिनियम के तय प्रावधानों का पालन ही नहीं किया गया है और सीधे सम्मलेन की बैठक में प्रस्ताव लाया गया है, जिसमें न तो कोई मुआवज़े का उल्लेख है और न ही कितनी चौड़ाई होगी इस बात का कोई उल्लेख है।

नेता प्रतिपक्ष सलीम नियरिया ने शहर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि “प्रस्ताव में शामिल ये सभी विकास कार्य एक साल में पूरे नहीं हो सकते, लिहाज़ा पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत विकास कार्यों को कराया जाना है। ऐसे में आख़िर इन प्रस्तावों को पास कराने की सत्ता पक्ष को क्या हड़बड़ी थी? जिस तरह से विपक्षी दल की चर्चा की मांग को अनसुना करते हुए सभी नियम विरुद्ध लाए गए प्रस्तावों को बिना चर्चा कराए पास कराया गया है, इसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की स्पष्ट संभावना बन रही है।”

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