OP DIWALI 7
VIJAY AGRWAL
SUSHIL MITTAL
SOMAWAR
RADHESHIYAM
PARDKSH NAYAK DIWALI 7
RAKESH MISHRA
RATTHU
VIKAS PUSPAK
AR GURUP DIWALI 8
ARUN GUPTA
CHHABDA SELS
JAYANT DIWALI 7
AG
KIRSHI DIWALI 6
NAVNIT1
KHADHY VIBHAG
MSP
KARAN DIWALI 12 copy
OMI
RAIGARH EIPAT SANGH DIWALI
PAPPU SANJIVNI
PATEL JEWLARS
GAGAN ROD DIWALI 8
HOTAL PUSPAK DIWALI 3
CG GIRH NIRMAN DIWALI
RAMBHAGT
TINY TOES ADD
SHALBH AGRWAL ADD
TINY TOES ADD 2
TINY TOES SCHOOL
R L ADD
BALAJI METRO ADD 14 SAL
RAJPRIYA ADD
SANJIYANI ADD
RUPENDR PATEL
APEX ADD
BALAJI METRO ADD 2
Untitled-1
ANUPAM KEDIYA
SANJIVANI 1
SANJIVANI 2
SANJIVANI 3
SANJIVANI 4
SANJIVANI 5
RAIGARH ARTHO 01
RAIGARH ARTHO 02
RAIGARH ARTHO 03
RAIGARH ARTHO 03
sunground
ANUPAM ADD
GANGA SEWAK ADD 1
3
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VIJAY AGRWAL
SUSHIL MITTAL
SOMAWAR
RADHESHIYAM
PARDKSH NAYAK DIWALI 7
RAKESH MISHRA
RATTHU
VIKAS PUSPAK
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ARUN GUPTA
CHHABDA SELS
JAYANT DIWALI 7
AG
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KHADHY VIBHAG
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RAIGARH ARTHO 03
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व्यावसायिक गतिविधियों के अड्डे में तब्दील हो चुकी है रियासतकालीन चक्रधर गौशाला, कॉम्प्लेक्स की ज़्यादातर दुकानों के कब्जे को लेकर संदेह, व्यापक जांच की है ज़रूरत

रायगढ़ जिले में संचालित तमाम पंजीकृत धर्मादा संस्थान व्यावसायिक गतिविधियों का अड्डा बनकर रह गये हैं, सेठ किरोड़ीमल धर्मादा ट्रस्ट की संपत्तियों की बंदरबांट से लेकर खुशीराम रामस्वरूप रतेरिया धर्मादा ट्रस्ट, नारायणी देवी रतेरिया ट्रस्ट, मुंशीराम ट्रस्ट के अलावा धनसी धर्मशाला, जूटमील धर्मशाला, बूजीभवन धर्मशाला, रतेरिया धर्मशाला, चक्रधर बालसदन अनाथालय सहित तमाम धर्मादा संस्थानों में जनसेवा के लिहाज़ से सरकारी रियायतों की मलाई के साथ खड़ी की गई करोड़ों अरबों की संपत्तियां संपन्न तबक़े की गिरफ़्त में है, जहां धर्मादा गतिविधियां ना के बराबर देखी जाती हैं। सबसे शर्मनाक बात तो ये है कि इन तमाम धर्मादा संस्थानों की जांच जिला प्रशासन के धर्मस्व मामलों के अधिकारी द्वारा कभी की ही नहीं जाती और अगर कभी की भी गई तो केवल काग़ज़ी खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं थी।

बहरहाल, रियासतकालीन रायगढ़ के दौर में राजपरिवार ने रायगढ़ में चक्रधर गौशाला और चक्रधर बालसदन के अलावा शहर में सात अलग अलग मंदिरों की स्थापना की थी, धर्मादा और जनसेवा के पावन उद्देश्य से स्थापित इन संस्थानों के मेंटेनेंस के लिए राजपरिवार ने संपत्तियां अटैच की थीं, चक्रधर गौशाला के नाम पर कारीछापर गांव में तक़रीबन 85 एकड़ ज़मीन अटैच थी, जिसे बाद की गौशाला प्रबंधन समिति में शामिल सेठों ने बेच दिया, सात मंदिरों के नाम पर शहर के अलग अलग हिस्सों में तक़रीबन 39 एकड़ ज़मीन अटैच की थी, जो कि शहर के बदनामशुदा भू-माफियाओं के निशाने पर चढ़ गई, अभी बेलादुला कब्रिस्तान के सामने नीलमाधव मंदिर के नाम अटैच ज़मीन का कुछ हिस्सा ख़ाली दिखाई देता है, पर इस ज़मीन के काफी हिस्से में अतिक्रमण हो चुका है।

अब थोड़ी सी बात चक्रधर गौशाला को लेकर कर लेते हैं, रियासतकाल में राजपरिवार ने एक ही जगह पर बड़ी और छोटी दो गौशालाओं का निर्माण कराया, बड़ी गौशाला में स्वस्थ गायों को रखा जाता था जबकि पास की ही छोटी गौशाला में बीमार और बूढ़ी गायों को रखा जाना था, स्थापना के कुछ सालों तक तो सब ठीक चला मगर जैसे ही गौशाला संचालन के लिए शहर के सेठों की समिति बनी, धीरे धीरे चक्रधर गौशाला को व्यावसायिक गतिविधियों का नापाक अड्डा बना दिया। आज छोटी गौशाला का अस्तित्व ख़त्म कर चौतरफा व्यावसायिक काम्प्लेक्स बना दिया गया है, इसके एक हिस्से में अवैध कब्ज़ा किया जा चुका है, जिसे रोकने की कोशिश ना तो गौशाला संचालन समिति ने की और ना ही प्रशासन ने। बड़ी गौशाला के सामने के हिस्से में भी दो तल्ला दुकानें बनाकर बिना संतोषजनक पारदर्शिता के अपने अपने लोगों को बेच दी गईं। इनमें से ज़्यादातर दुकानें उप किरायेदारी सिस्टम के साथ संचालित हैं। 

चक्रधर गौशाला के एक मौजूदा पदाधिकारी, जो ख़ुद अपने दो पारिवारिक ट्रस्ट के मालिक हैं, को दुकानों के उप किरायेदारों के साथ दुर्व्यवहार करने में बड़ी तसल्ली मिलती है, कुछ दिनों पहले एक दुकान का उप किरायेदार गौशाला की छत में लगी टंकी से हर रोज़ हो रहे पानी के रिसाव की समस्या लेकर इस पदाधिकारी के पास कार्यालय में निदान का आग्रह लेकर पहुंचा, तो बड़ी बेशर्मी के साथ अपने मातहत कर्मचारियों को निर्देशित किया कि “सुबह शाम दोनों टाईम और पानी गिराओ।” अब बताईये, ये तो हाल है गौशाला कुप्रबंधन समिति के इन धन्नासेठों के….. बहरहाल, पानी रिसाव की समस्या जस की तस बनी हुई है।

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