भारतीय रेलवे बोर्ड ने सभी 17 ज़ोन को यात्री ट्रेनों की स्थिति के बारे में सही और विश्वसनीय जानकारी नहीं देने या ग़लत जानकारी देने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का आदेश दिया है, रेल्वे बोर्ड ने स्टेशनों पर लगे सभी यात्री सूचना डिस्प्ले बोर्ड को भी राष्ट्रीय ट्रेन पूछताछ प्रणाली (NTES) के साथ एकीकृत करने का भी आदेश दिया है। राष्ट्रीय ट्रेन पूछताछ प्रणाली NTES वेबसाइट में ट्रेनों के परिचालन के अलावा यात्री ट्रेनों की स्थिति और कोच संरचना को वास्तविक समय में दिखाती है। प्लेटफार्म पर लगे ट्रेन इंडिकेटर बोर्ड, ट्रेनों के नंबर, नाम और परिचालन की स्थिति दिखाई जाती है, साथ ही यात्री कोच गाइडेंस सिस्टम के जरिए आने वाली ट्रेनों की कोच स्थिति भी पता चल सकती है।
रेलवे बोर्ड ने ग़ुज़रे 27 सितंबर को अपने सभी ज़ोन को एक पत्र लिखकर कहा है कि “ट्रेन इंडिकेटर बोर्ड और कोच गाइडेंस सिस्टम यात्रियों और रेलवे के बीच एक महत्वपूर्ण इंटरफ़ेस हैं, ऐसी प्रणालियों पर यात्रियों को दी जाने वाली ट्रेन की जानकारी सही और विश्वसनीय होनी चाहिए क्योंकि कोई भी कमी या त्रुटि रेल यात्रियों को असुविधा दे सकती है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष (CRB) और सीईओ ने कहा कि “ऐसे प्रणालियों पर ट्रेन की जानकारी का सही और विश्वसनीय प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए रेलवे को उचित महत्व देना चाहिए, स्टेशनों पर सभी यात्री सूचना प्रणालियों को ट्रेन की जानकारी के स्वचालित प्रदर्शन के लिए NTES प्रणाली के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए।”
रेलवे बोर्ड ने सभी ज़ोन को पुरानी यात्री सूचना प्रणालियों को नए से बदलने की सलाह दी है, ताकि वे नवीनतम आरडीएसओ मानकों को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।पत्र में कहा गया है कि आरडीएसओ विनिर्देशों संशोधन 4 और उससे ऊपर का पालन करने वाली यात्री सूचना प्रणालियों को एनटीईएस के साथ हमेशा एपीआई आधारित इंटरफ़ेस का उपयोग करके एकीकृत किया जाना चाहिए, यह इंजन रिवर्सल के बाद भी सही कोचिंग जानकारी प्रदर्शित करेगा, जिससे किसी भी मैनुअल हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होगी.
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ के निर्देश में, उत्तर मध्य रेलवे ने यात्री सूचना प्रणाली की विश्वसनीयता की जांच की और पाया कि इसमें कई कमियां हैं. अध्ययन और क्रिस (रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र) के विश्लेषण से पता चला कि कुछ ट्रेनों में या तो उपयोगकर्ता या ट्रेन के आरंभिक स्टेशन से ट्रेन डेटा फीड नहीं किया गया या ग़लत कोच कॉन्फ़िगरेशन दर्ज़ किया गया, जिन प्लेटफ़ार्म पर 1 दिन में 6 से अधिक आरक्षित ट्रेनें रुकती हैं, यात्रियों की सुविधा के लिए वहां कोच गाइडेंस सिस्टम लगाए जाना चाहिए, ताकि ऐसी ग़लतियों से बचाव हो सके और दोषी अधिकारियों पर उचित कार्रवाई हो सके। (सोर्स : लल्लूराम डॉट कॉम)