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गुंडीचा मौसी “शकुंतला-गोपी” के घर पहुना बनकर बलभद्र और सुभद्रा के संग पहुंचे महाप्रभु जगन्नाथ

हिन्दी के आषाण महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितिया से महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा महोत्सव की शुरुआत होती है, इस दिन पुरी में भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ में विराजकर नगर भ्रमण करते हैं, भक्तों को दर्शन देते हुए अपनी गुण्डिचा मौसी के घर जाते हैं, जहां वे आठ दिनों तक रहते हैं और उनकी गुण्डिचा मौसी महाप्रभु का स्वागत सत्कार के साथ सेवा करती हैं, रथयात्रा को लेकर रायगढ़ का पुरातन इतिहास भी ऐसा ही कुछ है, रायगढ़ में पुरी के रथोत्सव के एक दिन बाद यानि तृतिया तिथि को महाप्रभु जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ में विराजते हैं, ग़ज़ब के उत्साह और उमंग के साथ रथयात्रा शहर में निकलती है, शहरवासियों को महाप्रभु दर्शन देते हैं, इस दौरान लोगों का उत्साह बड़े पैमाने पर बना रहता है, जिसे देखो वही महाप्रभु की भक्ति में लीन रहता है।

शनिवार की देर शाम तक नगर भ्रमण के बाद महाप्रभु जगन्नाथ अपनी बहन और भाई के साथ मौसी घर पहुंचे, रायगढ़ में रथयात्रा से जुड़े तक़रीबन डेढ़ सौ सालों के रियासतकालीन इतिहास के जानकारों के मुताबिक़ पुरानी बस्ती सोनार पारा में रहने वाले गुप्ता परिवार के घर के सामने रथ के पहिये थम जाने के कारण तब के महाराजा ने गुप्ता परिवार को महाप्रभु की मौसी का घर घोषित कर दिया था, भले ही अब समय बदला और पीढ़ीयां भी बदलीं, मगर आज भी पुरानी बस्ती के गोपीनाथ गुप्ता की पत्नि महाप्रभु जगन्नाथ की गुण्डिचा मौसी के तौर पर पूरे आठ दिनों तक भरपूर ख़ातिरदारी के साथ सेवा करती हैं, महाप्रभु जगन्नाथ को सुबह के उठाने से लेकर रात को सुलाने तक की पूरी प्रक्रिया नियमित तौर पर बरसों से बिना किसी शिकन के ये परिवार करता है, पुरानी बस्ती महाप्रभु की मौसी के घर नियमित तौर पर तीन वक़्त सामूहिक पूजन आरती होती है। चूंकि महाप्रभु पुरानी बस्ती में बीते लंबे समय से दसमीं तिथी तक के लिये मेहमान बनकर आते हैं, इसलिये सिर्फ़ गुण्डिचा मौसी का ही परिवार नहीं, बल्कि पुरानी बस्ती के तमाम लोग आकर महाप्रभु के आरती पूजन में शामिल होते हैं, ख़ासतौर पर महिलाओं का मानना है कि महाप्रभु का दस दिनों तक आकर यहां रहना हमारे लिये किसी बड़े त्यौहार से कम नहीं है, दशमीं तिथि के दिन मौसी के घर से महाप्रभु की बिदाई अगले साल भर के लिये हो जायेगी, इस दौरान विशेष आरती पूजन हवन और भण्डारा प्रसाद का आयोजन भी अपनी शक्ति और सामर्थ्य के मुताबिक़ गुप्ता परिवार करता है, इन आठ दिनों में महाप्रभु के दर्शन के लिये गुंडीचा मौसी के घर दूर दराज़ से भी लोग आते हैं।

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