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विष्णुदेव, राधे राठिया और देवेंद्र बाबा के होते हुए आख़िर कैसे उजड़ रहा है तमनार मुड़ागांव क्षेत्र का जंगल, आदिवासियों के हितों की रक्षा की उम्मीद किससे करें?

छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य के तौर पर रायगढ़ जिले के आदिवासी नेता रायगढ़ राजपरिवार के सदस्य कुमार देवेंद्र प्रताप सिंह को भारतीय जनता पार्टी ने संसद में भेजा वहीं आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट से सहज सरल आदिवासी नेता राधेश्याम राठिया को टिकट देकर भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव जिताया और रायगढ़, जशपुर, सारंगढ़ जिले की नुमाइंदगी करने के लिए दिल्ली की संसद में भेज दिया। इन दोनों से दुनिया भर की उम्मीदें भले ही ना हों पर इतनी उम्मीद तो स्वाभाविक है कि ये दोनों ही सांसद कम से कम अपने अनुसूचित जनजातीय वर्ग के हितों की रक्षा के लिए तो पूरी ईमानदारी के साथ आगे आयेंगे। मगर इसे इस क्षेत्र के आदिवासियों के लिए दुर्भाग्य ही माना जायेगा कि तमनाम के मुड़ागांव, सराईटोला क्षेत्र के तक़रीबन 280 हेक्टेयर जंगल को महाजेंको की गारे पेलमा सेक्टर दो कोयला खनन परियोजना के लिए नेस्तनाबूद कर दिया जायेगा, जिसकी शुरुआत भी हो चुकी है। क्षेत्र की जनजातीय आवाम के विरोध को कुचलते हुए बलपूर्वक हज़ारों ज़िंदा पेड़ों की बेरहमी से हत्या की जा चुकी है, आदिम परंपरागत पूरी तरह जंगल पर ही निर्भर रहने वाली जनजातीय आवाम इस बात को लेकर भी भयभीत है कि उनके आठ गांव भी महाजेंको की कोयला खनन परियोजना की सूली पर चढ़ जायेंगे। कुल मिलाकर अगर कहें तो तमनार ही नहीं रायगढ़ जशपुर जिले का जनजातीय समाज यही चाहता है कि ऐसी कोयला खनन परियोजनाओं पर रोक लगे जिससे आदिवासी समुदाय के अस्तित्व पर ही संकट के बादल छाने लग जायें।

एक बात और, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी तो इसी क्षेत्र के जनजाती समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। अब बताईये भला, विष्णुदेव साय, राधे राठिया और देवेंद्र बाबा जैसे दमदार जनप्रतिनिधियों के होते हुए महाजेंको और उसकी एमडीओ कंपनी गारे पेलमा सेक्टर दो क्षेत्र में जनजातीय समुदाय के व्यापक विरोध को दरकिनार करते हुए उनके हितों पर इतने बड़े हमले कैसे करती है? राजनीति अपनी जगह है, पर  सच्चाई को लंबे समय तक परदे के पीछे नहीं रखा जा सकता बाबू…. इसलिए जितनी जल्दी हो सके “बदेक राखो” और “चेंत करो”

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