
रायगढ़ विधायक और छत्तीसगढ़ सरकार के वित्त आवास पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी द्वारा पावर प्लांट्स से निकलने वाली फ़्लाई-ऐश के व्यवस्थित डिस्पोज़ल के लिए बाक़ायदे लोकेशन की जियो टैगिंग और फ़्लाई-ऐश परिवहन में लगी वाहनों की जीपीएस मैपिंग की व्यवस्था का आधिकारिक प्लान तैयार करवाया जा चुका है और इसका पालन अनिवार्य भी किया गया है। ये सारी क़वायद फ़्लाई-ऐश के अवैध परिवहन और मनमाने साईट पर डंपिंग से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए की गई है। सरकार के ऐसे तमाम प्रावधानों को रायगढ़ के ही पावर प्लांट्स और फ़्लाई-ऐश ट्रांसपोर्टर्स हर रोज़ चकमा देने में लगे हुए हैं।



रायगढ़ जिले के पुसौर में भारत सरकार के उपक्रम एनटीपीसी का लारा प्रोजेक्ट संचालित है और यहां से हर रोज़ सैकड़ों टन फ़्लाई-ऐश निकलती है, जिसका डिस्पोज़ल सड़क के रास्ते अनुबंधित ट्रांसपोर्टर्स द्वारा किया जाता है। पुसौर से आगे सरिया के पास महानदी के तट पर अध्यात्मिक महत्व का गांव पोरथ है, इस गांव में भगवान शिव के प्राचीन मंदिर की वजह से लोगों का आत्मीय जुड़ाव इस गांव से है। बावजूद इसके पोरथ गांव की सीमा से थोड़ा पहले सड़क के दोनों तरफ़ बड़ी तादाद में फ़्लाई-ऐश की डंपिंग बेहद अव्यवस्थित तरीक़े से की गई है। पोरथ जाने वाली मुख्य सड़क के दोनों तरफ़ फ़्लाई-ऐश के बड़े बड़े ढेर की वजह से राहगीरों का इस रास्ते ग़ुज़रना मुश्किल हो गया है। हालांकि बारिश के मौसम में थोड़ी राहत मिल जाती है मगर चौबीस घंटे के लिए भी अगर मौसम सूखा हो जाये तो हवा चलने पर या वाहनों की आवाजाही से फ़्लाई-ऐश उड़ने लगती है। फ़्लाई-ऐश के अवैध परिवहन और डंपिंग पर लगाम लगाने के पहले से कहीं ज़्यादा कड़ाई करने की ज़रूरत है साथ ही पोरथ के रास्ते खेतों में की गई फ़्लाई-ऐश की अवैध डंपिंग पर भी स्थानीय प्रशासन को एक्शन लेना चाहिए।