GANPATI
sunground
ABHISHEK
R L ADD
SHALBH AGRWAL ADD
GANGA SEWAK ADD 1
RAJPRIYA ADD
SANJIYANI ADD
ANUPAM ADD
APEX ADD
BALAJI METRO ADD
Untitled-1
TINY TOES
RAIGARH ARTHO 01
RAIGARH ARTHO 02
RAIGARH ARTHO 03
RUPENDR PATEL
RAIGARH ARTHO 03
OP DIWALI 7
VIKAS KEDIYA DIWALI 6
PARDKSH NAYAK DIWALI 7
AG JEWELLERS DIWALI 12
AR GURUP DIWALI 8
CG GIRH NIRMAN DIWALI
HOTAL PUSPAK DIWALI 3
JAYANT DIWALI 7
JEWELLERS DIWALI 10
KHANIJ VIBHAG DIWALI 4
JANKI MAHAPOR DIWALI 7
KIRSHI DIWALI 6
SNIL RAMDAS DIWALI 7
MAHILA BAL VIKAS DIWALI 5
MSP DIWALI 2
PATEL JEWELLERS DIWALI 11
POLICE DIWALI 2
RATTHU DIWALI 3
SANJIVNI DIWALI 5
SHARM VIBHAG DIWALI 6
TAIBAL AFEX DIWALI 7
GAGAN ROD DIWALI 8
KHABAR BAYAR DIWALI 10
KARAN DIWALI 12 copy
MANOJ AGRWAL DIWALI 6
RAIGARH EIPAT SANGH DIWALI
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शहीद कर्नल त्रिपाठी को गेलेंट्री अवार्ड से वंचित रखा जाना पूरे सिस्टम पर सवाल है..?

आख़री सांस तक आतंकियों से मुक़ाबला किया, पत्नी और मासूम बेटे की शहादत से अब तक ग़मज़दा है परिवार

15 अगस्त और 26 जनवरी को जिला स्तरीय कार्यक्रम में नेताजी के भाषण में एक लाईन शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी को नमन…. बस इसी से जिला प्रशासन अब उन्हें याद करता है। दीपावाली के समय 5 मीटर पर बसे कोतवाली से मिठाई आ जाती है, अगर परिजन घर पर रहे तो। क्या यही देश की ख़ातिर शहीद कर्नल त्रिपाठी का सम्मान है, बलिदान कहीं अधूरा तो नहीं रह गया, कोई कसर बाक़ी तो नहीं रह गई, जिसके कारण भारत सरकार उन्हें सैन्य पुरस्कार नहीं दे रही है, जबकि शहादत के तुरंत बाद उन्हें सम्मान मिल जाना चाहिए था। “अऊ का करना रिहिस बुलु ला…ऐसे कई सवाल रायगढ़वासियों के जेहन में है, क्योंकि उनके लाडले बुलु यानि कर्नल विप्लव त्रिपाठी “रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर” बलिदानी हैं। मरणोपरांत मिलने वाला गैलेंट्री अवार्ड पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत होता है।

आज घर-घर तिरंगा फहर रहा है, जिसकी आन-बान-शान को बनाए रखने के लिए जवान अपनी जान की बाज़ी लगाते हैं। इन्हीं में से एक जवान हमारे रायगढ़ का बुलु भी है, जो रायगढ़ में देशप्रेम-देशभक्ति का पर्याय बन चुका है।

शहादत के तुरंत या अगले राष्ट्रीय पर्व पर जो गैलेंट्री अवार्ड भारतीय सेना और सरकार बलिदानी के सम्मान में देती हैं, उसके लिए कर्नल विप्लव त्रिपाठी का परिवार तरस गया है। बीते 3 सालों से शहीद के बुजुर्ग मां-पिता ने हरसंभव कोशिश की और हर किसी से इस संबंध में मिल चुके हैं, पर नतीजा सिफ़र ही रहा है। जनप्रतिनिधियों के नाम सैकड़ों पत्र, रक्षा से लेकर गृहमंत्री तक की दौड़। मुख्यमंत्री का आश्वासन, तो स्थानीय नेताओं की गारंटी, सब कुछ मिला तो सही, पर कोरा और ढकोसला। जब तक कर्नल विप्लव के सर्वस्व बलिदान के बारे में जानेंगे नहीं, तब तक युवा इनसे कैसे प्रेरित होंगे?

विदित हो कि आम नागरिक होकर कैसे देश की सेवा करें, इसका उदाहरण कर्नल विप्लव की मां आशा और पिता सुभाष हैं। हर साल बेटे-बहु-नाती की स्मृति में आयोजन करते हैं और उसकी थीम देशभक्ति रहती है, जहां वह सभी प्रतिभागियों को सेना के वीर, सेना, देश के वैज्ञानिकों और महापुरुषों की किताबें बांटते हैं। उनके लिए हर ज़रूरतमंद बच्चा उनका बच्चा है, जिसकी वह हरसंभव मदद भी करते हैं।

शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी का परिवार संपन्न है, उन्हें कुछ चाहिए तो वो है अपने बेटे के लिए सिर्फ़ गैलेंट्री अवार्ड। जीवन के सातवें दशक में होते हुए ये त्रिपाठी दंपति इसके लिए कुछ भी कर गुज़रने की चाहत रखते हैं। त्रिपाठी परिवार अवार्ड के लिए सिर्फ़ सरकार के भरोसे है, क्योंकि सरकार ही कुछ कर सकती है। बाक़ी उनके वश में जो है, वह तो कर रहे हैं। अपने पुत्र शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी, बहू अनुजा त्रिपाठी, नाती अबीर त्रिपाठी की प्रतिमा पश्चिम बंगाल जाकर अपने खर्चे से बनवाई है। विप्लव और अबीर की प्रतिमा को स्थान तो मिल गया, पर बहू अनुजा की प्रतिमा की स्थापना में स्थानीय राजनीति हावी हो गई, तो वह उनके घर के बाहर रखी हुई है। स्टेडियम का द्वार भी इन्होंने ही अपने ख़र्चे से बनवाया, सर्किट हाऊस रोड के पुष्प वाटिका उद्यान और मिनी स्टेडियम में नगर निगम ने केवल जगह भर उपलब्ध कराई थी, प्रतिमा लगाने के लिए जो भी निर्माण हुआ, उसका सारा ख़र्चा त्रिपाठी परिवार ने ही ख़ुद वहन किया था।

बलिदान, बलिदान होता है छोटा या बड़ा नहीं। 13 नवंबर 2021 को चुड़ाचांदपुर में शहीद हुए 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी आख़री गोली तक उग्रवादियों से लड़ते रहे, अंत में पत्नी-बच्चे और 4 अन्य जवानों के साथ वीरगति को प्राप्त हुए, उन्हें आज पर्यंत तक सैन्य सम्मान नहीं मिलना बाटम टू टाप पूरे सिस्टम की भूमिका पर कई सवाल खड़े करता है। अमर बलिदानी कर्नल विप्लव त्रिपाठी की शौर्य गाथा देश जानता है, पर देश की सरकार उनका सम्मान क्यों नहीं कर रही है, यह गुत्थी समझ के परे है, जबकि सेना अपने सैनिकों का सम्मान करने के लिए विख्यात है।

-अभिषेक उपाध्याय, चीफ़ एडीटर, Raigarh express . Com

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