
राज्य सरकार सहित एनटीपीसी और एसईसीएल से मांगा जवाब
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के चीफ़ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य में बेलगाम बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईवे के किनारे संचालित शराब दुकानों, ढाबों और खुले में फ़्लाई ऐश परिवहन कर रहे डंपरों को सड़क हादसों की बड़ी वजह माना है और राज्य सरकार सहित एनटीपीसी और एसईसीएल से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि “सड़कें सिर्फ़ परिवहन का साधन ही नहीं नागरिकों की जान की सुरक्षा से भी जुड़ी हैं, सड़क हादसे रोकने के लिए ठोस क़दम उठाने की ज़रूरत है।” सड़क हादसों को लेकर पिछले साल हाईकोर्ट ने ख़बरों पर संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई शुरू की थी, एडवोकेट रवींद्र शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था, उन्होंने पिछली सुनवाई में विस्तृत रिपोर्ट भी पेश की थी, जिसमें बताया गया था कि मुंगेली जिले के सरगांव में नगर पंचायत कार्यालय के पास ब्लैक स्पॉट है, यहां हाईवे से सटी शराब दुकान संचालित हो रही है। यह राज्य सरकार के नियमों के ख़िलाफ़ है, जिसमें हाईवे से 500 मीटर के दायरे में शराब दुकान प्रतिबंधित है, उसी क्षेत्र में सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण कर बरमदेव ढाबा संचालित किया जा रहा है, ढाबे के सामने वाहन पार्किंग के कारण सड़क पर अव्यवस्था फैली हुई है, जिससे गंभीर हादसों की आशंका बनी रहती है। कोर्ट को दी गई जानकारी के मुताबिक़ कोरबा जिले में सड़क हादसों में 25.44% और सरगुजा जिले में 42.25% की वृद्धि हुई है, ये दोनों जिले कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं, जहां बड़ी संख्या में डंपर चलते हैं, इसके अलावा कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि कई लोग मालवाहक वाहनों से यात्रियों को ढो रहे हैं, जिससे जान का ख़तरा बढ़ता है, वहीं स्ट्रीट लाइट की कमी और आवारा मवेशियों के कारण भी दुर्घटनाएं हो रही हैं। NHAI की तरफ़ से बताया गया कि बिलासपुर-पथरापाली सेक्शन में 17.95 करोड़ रुपए की लागत से पांच जगह फुट ओवर ब्रिज बनाए जाएंगे, ये एफओबी तुर्काडीह, सेंदरी, मदनपुर, मेलनाडीह-कर्रा और बेलतरा में बनेंगे, इन स्थानों पर क्रैश बैरियर लगे हैं, लेकिन लोग जान जोखिम में डालकर सड़क पार करते हैं, हाई कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर को NHAI के हलफ़नामे की जांच की बात भी कही।