

(अग्रोहाधाम रायगढ़ के संस्थापक अध्यक्ष राकेश अग्रवाल)
छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जिसमें मिनी भारत की तस्वीर दिखाई देती है, गर्व के साथ ऐसा इसलिए कह सकते हैं कि यहां हर प्रांत के भाषा-भाषी, खान-पान, कला-संस्कृति, धार्मिक मान्यताओं परंपराओं और विचारधाराओं से जुड़े लोग बिना किसी भय के आपस में मिल जुलकर रहते हैं, छत्तीसगढ़ में कभी क्षेत्रवाद को लेकर क़ानून व्यवस्था की स्थिति नहीं बनने पाई, मगर अमित बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने 2018 से 2023 के दौरान छत्तीसगढ़ में क्षेत्रवाद के नाम पर नफ़रत फैलाना शुरू किया, इस ग़ैर राजनैतिक दल (बाहरी तौर पर) ने छत्तीसगढ़ के परंपरागत लोक पर्व पूस पुन्नी के अवसर पर कई शहरों में लाठी रैली निकालनी शुरू की। रायगढ़ के संदर्भ में अगर बात करें तो पहली बार 20 जनवरी 2019 को लाठी रैली का आयोजन किया गया था, रैली में अमित बघेल भी शामिल हुआ था, एक दिन पहले 19 जनवरी की रात बोईरदादर क्षेत्र में इनके लोगों द्वारा मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया था, अगले दिन रामलीला मैदान से अनुशासनहीनता के साथ रैली शुरू हुई और कुछ दूरी पर ही सत्तीगुड़ी चौक में काशी पेट्रोल पंप (पुराने) के सामने भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता राजेश जाटवर पर लाठियों से हमला करके घायल किया गया था। रैली आगे बढ़ी तब पंजाबी, मारवाड़ी, सिंधी, मराठी, गुजराती, दक्षिण भारतीय, यूपी बिहार से आकर छत्तीसगढ़ में बसे लोगों के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक नारों के जरिए ज़हर घोलने का काम किया गया, पुलिस और प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लिया और थाने में मामला दर्ज़ किया था, रैली के बाद शाम को रामलीला मैदान में इनकी सभा नहीं होने दी गई थी।

(जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी सुप्रीमो अमित बघेल)
इस बीच अलग अलग मौक़ों पर छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना सुप्रीमो अमित बघेल नज़र तो आये, मगर ज़ुबान से क्षेत्रवाद के नाम पर ज़हर उगलना थोड़ा कम कर दिया, अभी हाल ही में अमित बघेल ने अग्रवाल समाज के कुल आराध्य महाराजा अग्रसेन और सिंधी समाज के आराध्य झूलेलाल को लेकर अमर्यादित टिप्पणी करके छत्तीसगढ़ कीक्षशांत फिज़ाओं में क्षेत्रवाद का ज़हर घोलने का काम किया है। अमित बघेल के इस विवादित बयान की पृष्ठभूमि में वो मामला है जिसमें किसी अज्ञात व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया था, हालांकि जानकारी सामने आते ही आरोपी व्यक्ति कि गिरफ़्तारी भी हो गई है पर अमित बघेल की ज़ुबान लगातार ज़हर उगल रही है। दुर्भाग्य तो ये है कि छत्तीसगढ़ के किसी बड़े नेता या मंत्री ने अमित बघेल और उसकी संस्था के ख़िलाफ़ ज़ुबान नहीं खोली।
इधर अपने कुल आराध्य महाराजा अग्रसेन के अपमान से नाराज़ अग्रवाल समाज ने छत्तीसगढ़ के कई शहरों में पुलिस को शिक़ायत दर्ज़ कराई है, वहीं सिंधी समाज ने भी सामाजिक एकजुटता का परिचय देते हुए पुलिस को अमित बघेल के ख़िलाफ़ लिखित शिक़ायत सौंपी है। अब छत्तीसगढ़ सरकार को तय करना है कि क्षेत्रवाद के नाम पर अलग अलग समाज के आराध्य महापुरुषों के बारे में अशालीन टिप्पणी करने वाले अमित बघेल और उसके साथियों के ख़िलाफ़ सख़्ती बरतनी है भी या नहीं।

























































