

कोरबा जिले अंतर्गत बलगी जूनापारा क्षेत्र के निर्मल स्वीट्स के बगल में बिसेन राजपूत परिवार द्वारा संगीतमय श्रीमद् भागवतकथा महायज्ञ का आयोजन बीते नौ सितंबर से किया गया, पहले दिन कथा महात्म्य हुआ, फिर अगले दिन से श्रीमद् भागवतकथा शुरू हुई, जो कि हर रोज़ दोपहर बाद से शुरू होकर देर शाम तक जारी रही, श्री वृंदावन धाम से पधारे देश के उभरते कथा व्यास आचार्य गोपाल मिश्र जी के श्री मुख से अविरल प्रवाहित होने वाली भागवत गंगा ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर रही है, श्रीमद् भागवतकथा के सभी प्रसंगों को विस्तार के साथ सरल और सहज अंदाज़ में श्रोताओं तक पहुंचाने का काम कथा-व्यास द्वारा व्यासपीठ से किया जा रहा है, श्रीमद् भागवतकथा के दौरान संगीत मंडली का भी एक अलग ही प्रभाव निकल कर आ रहा है, भजनों के माध्यम से भी श्रोताओं को श्रीमद् भागवतकथा से जोड़कर रखा जा रहा है, वहीं हर दिन कथा के कुछ ख़ास प्रसंगों में बिसेन परिवार की बहू बेटियों की कलात्मक सहभागिता से सजीव झांकियों का भी प्रदर्शन किया गया, जिससे कथा स्थल पर मौजूद तमाम धर्मपारायण श्रोता भाव विह्वल हो उठे। जिस दिन से श्रीमद् भागवतकथा की शुरुआत हुई है, उसी दिन से निर्धारित समय में बलगी सहित आसपास के क्षेत्र के श्रोताओं की मौजूदगी बिसेन परिवार के नवनिर्मित आवास परिसर में भव्यता के साथ तैयार किये गये कथा पंडाल में हो जाती है, श्रोताओं में महिलाओं की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है, आयोजक बिसेन परिवार द्वारा कथा सुनने आने वाले भक्तों के लिए बैठने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है, बिसेन परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भगवत कथा की पूर्णाहुति सोलह सितंबर मंगलवार को होनी है, श्रीमद् भागवतकथा स्थल पर मौजूद सभी भक्तों में अपार श्रद्धा और समर्पण का भाव भी देखा जा रहा है। श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह का विश्राम 16 सितंबर को पूर्णाहुति और भंडारा प्रसाद के साथ होना है, जिसके लिए बिसेन परिवार द्वारा भव्यता के साथ व्यवस्थाएं की गई हैं।


ग़ौरतलब है कि कोरबा जिला अंतर्गत छुरी निवासी प्रतिष्ठित बिसेन परिवार के श्रीमती प्यारी सिंह, बनवाली सिंह-जमुना सिंह, प्रभुचरण सिंह-लता सिंह, हरगोविंद सिंह-शारदा सिंह, आशीष सिंह-अपर्णा सिंह ने पारिवारिक एकजुटता और समर्पण के साथ अपने दिवंगत परिजनों ब्रह्मलीन गिरिवर सिंह, हनुमान सिंह की पावन स्मृति में श्रीमद्भागवत सप्ताह का आयोजन किया, जिसमें बलगी, छुरी श्रेत्र के लोगों के अलावा बिसेन परिवार के अलग अलग जगहों में निवासरत रिश्तेदारों और प्रियजनों ने भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। कुल मिलाकर अगर कहें तो एक सप्ताह तक बलगी का समूचा जूनापारा क्षेत्र मथुरा वृन्दावन की तरह महसूस किया जाने लगा था।

