OP DIWALI 7
VIJAY AGRWAL
SUSHIL MITTAL
SOMAWAR
RADHESHIYAM
PARDKSH NAYAK DIWALI 7
RAKESH MISHRA
RATTHU
VIKAS PUSPAK
AR GURUP DIWALI 8
ARUN GUPTA
CHHABDA SELS
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AG
KIRSHI DIWALI 6
NAVNIT1
KHADHY VIBHAG
MSP
KARAN DIWALI 12 copy
OMI
RAIGARH EIPAT SANGH DIWALI
PAPPU SANJIVNI
PATEL JEWLARS
GAGAN ROD DIWALI 8
HOTAL PUSPAK DIWALI 3
CG GIRH NIRMAN DIWALI
RAMBHAGT
TINY TOES ADD
SHALBH AGRWAL ADD
TINY TOES ADD 2
TINY TOES SCHOOL
R L ADD
BALAJI METRO ADD 14 SAL
RAJPRIYA ADD
SANJIYANI ADD
RUPENDR PATEL
APEX ADD
BALAJI METRO ADD 2
Untitled-1
ANUPAM KEDIYA
SANJIVANI 1
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SANJIVANI 3
SANJIVANI 4
SANJIVANI 5
RAIGARH ARTHO 01
RAIGARH ARTHO 02
RAIGARH ARTHO 03
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sunground
ANUPAM ADD
GANGA SEWAK ADD 1
3
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हिंडाल्को के ताना-बाना समारोह में कोसा बुनकरों का हुआ सम्मान, कोसा सिल्क बुनाई का भविष्य संवारने के लिए प्रतिबद्ध है हिंडाल्को : सतीश पाई

हिंडाल्को ने बुनकर समुदाय के लिए किया सतत आजीविका का सृजन कोसला : कोसा सिल्क बुनाई की प्राचीन कला को पुनर्जीवित करने हिंडाल्को की पहल : सौरभ खेड़ेकर

रायगढ़-चांपा। “ कोसला एक संस्था ही नहीं, हमारी मां भी है। कोसला ने हमारे जीवन को बदल दिया है, कोसला हमारे जीवन को हर बीते दिन के साथ बदल रही है। हिंडाल्को ने हम बुनकरों के जीवन में कई बदलाव लाए हैं, अब हम ज़्यादा कमा रहे हैं और बचत भी कर पा रहे हैं,” यह कहना है खुदीराम देवांगन का जो पिछले दो वर्षों से कोसाला से जुड़कर काम कर रहे हैं। कोसला आजीविका और सामाजिक फाउंडेशन एक ग़ैर-लाभकारी सामाजिक उद्यम है, जो आदित्य बिड़ला समूह की प्रमुख मेटल कंपनी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी है, जो छत्तीसगढ़ के कोसा रेशम बुनकरों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

बुधवार को कोसला द्वारा चांपा और आस -पास की 24 महिला बुनकरों को उनके सार्थक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। बुनकर, रंगरेज़ और कोसा धागा निर्माताओं सहित कोसला समुदाय के सदस्यों के लिए आयोजित ‘ताना-बाना समारोह’ में महिला बुनकरों और योगदानकर्ताओं को हिंडाल्को के एमडी सतीश पाई, सीईओ, स्पेशियलिटी एल्युमिना एंड केमिकल्स बिजनेस सह निदेशक-कोसला सौरभ खेडेकर और बिजनेस हेड कैलाश पांडेय द्वारा सम्मानित किया गया। उनके योगदान की प्रशंसा करते हुए हिंडाल्को के एमडी सतीश पाई ने कहा कि “हिंडाल्को का प्रयास है कि कोसला को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दी जाए, हम चाहते हैं कि कोसा की परंपरा एक व्यवसाय के रूप में खड़ी हो और यह अपने पैरों पर पूरी तरह खड़ी हो जाए।” उन्होंने यह भी कहा कि “जब मैं पहली बार रायगढ़ आया था तो कोसा उत्पादन को देखा था और तभी कंपनी ने यह तय किया था कि इस कला को हमें न सिर्फ पुनर्जीवित करना है, बल्कि देश-विदेश में आपकी इस कला को फैलाना है।”

ताना-बाना सम्मान समारोह की औपचारिक शुरुआत दीप प्रज्वलन से की गयी, इस कार्यक्रम में बुनकरों और कोसा सूत निर्माताओं सहित कोसला समुदाय के प्रमुख सदस्यों को एक साथ एक मंच पर लाया गया। इस अवसर पर सौरभ खेडेकर ने कहा कि “हम आपको परिवार की तरह मानते हैं और इस प्राचीन कला शिल्प के प्रति आपका योगदान अभूतपूर्व है, हम पारंपरिक प्रथाओं को जीवित रखने, सभी प्रक्रियाओं को मानवीय, न्यायसंगत और पारिस्थितिक रूप से संतुलित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कोसला के माध्यम से हमारा लक्ष्य कारीगरों के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ाना और उन्हें ऐसे उत्पाद बनाने में अपनी उत्कृष्टता और त्रुटिहीन कलात्मकता को प्रदर्शित करने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करना है, जिससे यह कला नई ऊचाइयों को छू सके । छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क से ख़ूबसूरती से डिजाइन और हाथ से बुनी गई साड़ियां, दुपट्टे और स्टोल दुनिया भर में पसंद की जा रही हैं।”

ताना बाना समारोह में रायगढ़ घराने की प्रसिद्ध कथक कलाकार निहारिका यादव द्वारा एक शानदार कथक नृत्य प्रदर्शन के साथ कोसा बुनाई के सांस्कृतिक महत्व पर भी प्रकाश डाला गया, जिसने अपनी सुंदर कलात्मकता से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर अपने संबोधन में सीईओ कोसला नीता शाह ने कहा  कि “ताना बाना कारीगरों के अथक प्रयासों को पहचानने और उनके शिल्प का जश्न मनाने का हमारा एक प्रयास है ।” इस दौरान हिंडालको के एडवाइज़र देवाशीष घोष सहित छत्तीसगढ़ राज्य रेशम उत्पादन विभाग,चांपा के सहायक संचालक मधु कुमार चंदन और बुनकर सेवा केंद्र रायगढ़ के सहायक निदेशक विजय सवनेकर मौजूद थे।

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